अग्नीपथ स्कीम का ऐलान :- अब 4 वर्ष के लिए सेना में भर्ती होंगे युवा

नई दिल्ली, एएनआई। केंद्र सरकार मंगलवार को रक्षा बलों के लिए अग्निपथ भर्ती योजना की घोषणा की। इसके तहत सैनिकों को सिर्फ चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना में भर्ती प्रक्रिया में बड़े बदलाव के लिए अग्निपथ भर्ती योजना (Agnipath recruitment scheme) का ऐलान किया। राजनाथ सिंह ने बताया कि अग्निपथ भर्ती योजना के तहत सेना में चार साल के लिए युवाओं को भर्ती कराया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें नौकरी से छोड़ते वक्त सेवा निधि पैकेज मिलेगा। इस योजना के तहत सेना में शामिल होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा। तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस योजना का प्रेजेंटेशन भी दिया था| इस योजना के तहत सेना में युवा कम समय के लिए भर्ती हो सकेंगे। इस योजना को अग्निपथ स्कीम नाम दिया गया है। इसके तहत युवा चार साल के लिए सेना में शामिल हो सकते हैं और देश की सेवा कर सकेंगे। 
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे, एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेना चीफ एडमिरल आर हरि कुमार की मौजूदगी में सेना की अग्निपथ स्कीम की लॉन्चिंग मौके पर कहा कि अग्निपथ योजना का लक्ष्य सैन्य सेवा की प्रोफाइल को यूजफुल रखा जाए। इससे युवाओं की हेल्थ और फिटनेस लेवल भी अच्छा रहेगा। इस योजना के जरिए विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराएगा। इससे जीडीपी ग्रोथ में सहायक होगी। बेहतर पैकेज, सेवा निधि पैकेज और डिसएबिलिटी पैकेज की भी घोषणा की गई है।
अग्निपथ योजना के तहत युवा चार साल के लिए सेना में शामिल होंगे और देश की सेवा करेंगे। यह रक्षा बलों का खर्च और उम्र घटाने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है। चार साल के बाद 80 प्रतिशत सैनिकों को कार्यमुक्त कर दिया जाएगा और आगे रोजगार के अवसर मुहैया कराने में सेना उनकी मदद करेगी। देश की सेवा कर चुके ऐसे प्रशिक्षित और अनुशासित युवाओं के लिए नौकरियां आरक्षित करने में विभिन्न कारपोरेशंस को भी रुचि होगी।
सशस्त्र बलों का शुरुआती अनुमान है कि अगर योजना के तहत अच्छी खासी संख्या में सैनिकों की भर्ती हुई तो वेतन, भत्तों और पेंशन के मद में हजारों करोड़ रुपये की बचत होगी। रिक्तियां होने की स्थिति में योजना के तहत भर्ती सर्वश्रेष्ठ युवाओं को सेना में बने रहने का अवसर भी मिल सकता है। सैन्य मामलों के विभाग ने योजना बनाने से पहले आठ देशों के इसी तरह के माडल का अध्ययन किया था।