कार्यशाला के तृतीय दिवस पर माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलन, पुष्षापर्ण के साथ ” वर दे वीणा वादिनी वर दे ” वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। मुख्य प्रशिक्षक नन्दकिशोर उप्रेती द्वारा 1- सा रे गा मा पा धा नि सा , 2- सा नि धा पा मा गा रे सा , 3- सा रे सा, सा रे सा, सा रे गा मा पा धा नि सा संगीत के सात सुरों , सरगम के साथ ‘ अब तो सुमिरन नर राम में, चरन को जनम मरण दु:ख दूर करन को का गायन बच्चों को लय के साथ गाने के साथ किया।
इसके उपरांत समूहगान “भारत प्यारा देश हमारा” का सामुहिक अभ्यास कराया। कार्यशाला के दूसरे सत्र में मुख्य प्रशिक्षक जगदीश आर्या जी द्वारा बच्चों को सुमधुर स्वर में गाने का अभ्यास कराया। उन्होंने बच्चों को अपनी सुमधुर आवाज में एक भजन “इस जीवन में हे परमपिता, दीदार तुम्हारा हो जाये” व एक स्वरचित कुमाउनी गीत “रंगीलो कुमाऊँ, पहाड़ मेरी जन्माभूमि” सुनाया। कार्यशाला संयोजक कृपाल सिंह शीला द्वारा बच्चों को सर्व धर्म प्रार्थना ” तू ही राम है , तू रहीम है” व समूहगान “गंगा जमुना बगैनी , दादी हमर देश में “का गायन अभ्यास कराया। कार्यशाला के सफल संचालन में रामदत्त उप्रेती, देवन्ती देवी, गीता उप्रेती, सन्तोषी देवी का सक्रिय सहयोग रहा। इस कार्यशाला में संध्या, मोहित, चित्रा,नैतिक,प्रिन्स, हर्षित, पीयूष,अनमोल प्रिया,तनु,उदिति, खुशी,मोहित,विनय आदि उपस्थित रहे। कार्यशाला संयोजक कृपाल सिंह शीला द्वारा सभी प्रशिक्षकों, सभी सहयोगियों, सभी प्रतिभागियों का कार्यशाला को सफल बनाने के लिए हृदय से आभार व्यक्त किया। सभी को सूक्ष्म जलपान कराने के उपरांत तृतीय दिवस की कार्यशाला का समापन हुआ।