कृषि कानून वापस होने के बाद किसानों में और जोश आ गया है| अब किसानों ने सरकार के सामने 6 और मांगे रखी है| इसमें बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 की भी मांग शामिल है| किसान बिजली विधेयक को इसलिए वापस करने की मांग कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह विधेयक सब्सिडी वाली बिजली को खत्म कर देगा| या फिर सब्सिडी वाली बिजली के लिए पहले बिल देना पड़ेगा सिर्फ सब्सिडी का दावा करना होगा| किसानों को यह डर सता रहा है कि बिजली निजी करण से महंगी हो जाएगी और सब्सिडी के केस में मामला और भारी हो जाएगा| क्योंकि पिछले एक दशक में बिजली की कीमतों में भारत में बदलाव आते रहे हैं|
किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि पूरा बिजली भार भरने में किसानों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा| बेहतर ही रहेगा कि किसानों को सब्सिडी चार्ज का पेमेंट करने की इजाजत दी जानी चाहिए, बाकी पेमेंट सरकार से वसूल की जानी चाहिए|
बताते चलें कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का सबसे ज्यादा हिस्सा है| कृषि में बिजली की खपत का हिस्सा भी भारत में सबसे अधिक है| भारत के सकल घरेलू उत्पाद का कृषि 16.7 फ़ीसदी है| कृषि में बिजली की खपत देश की कुल बिजली खपत का कुल हिस्सा 17.7 फ़ीसदी हिस्सा है|
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार कहे तो देश में 2 करोड़ से अधिक लोगों ने कृषि कैटेगरी में बिजली का कनेक्शन लिया है ऐसे में नए नियम का प्रभाव सभी किसानों पर देखने को मिलेगा| 2019 तक महाराष्ट्र में सबसे अधिक कृषि उपभोक्ता (42.5 लाख) है| इसके बाद कर्नाटक में 29.7 लाख तथा मध्य प्रदेश में 28.1 लाख कृषि उपभोक्ता है| देखा जाए तू पिछले दो दशकों से बिजली की खपत में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है| 2000-01 में 84,729 गीगावाट घंटे से यह 2009-10 में बढ़कर 1.08 लाख गीगावाट हो गया और आप 2019-20 में यह 2.28 गीगावाट तक पहुंच गई|