
दिनांक: 01 दिसम्बर 2025 को
महाराणा प्रताप राजकीय महाविद्यालय, नानकमत्ता में विश्व एड्स दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस.) इकाई द्वारा एकदिवसीय जागरूकता कार्यशाला एवं स्वच्छता अभियान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य विद्यार्थियों एवं महाविद्यालय समुदाय को एचआईवी/एड्स के प्रति वैज्ञानिक, तथ्यपरक एवं संवेदनशील दृष्टिकोण प्रदान करना तथा सामाजिक कलंक व भ्रांतियों को समाप्त करना था।
शिविर का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर अंजला दुर्गापाल द्वारा किया गया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि “विश्व एड्स दिवस हमें जागरूकता, करुणा और वैज्ञानिक सोच का संदेश देता है। एचआईवी/एड्स एक चिकित्सीय स्थिति है, न कि किसी व्यक्ति की पहचान या प्रतिष्ठा का प्रश्न। युवा पीढ़ी जागरूकता फैलाकर समाज में फैले मिथकों और भेदभाव को समाप्त कर सकती है। हमारा लक्ष्य ऐसे संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक तैयार करना है जो स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को समझदारी और मानवीय दृष्टिकोण से देख सकें।”
एन.एस.एस. कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रवि जोशी ने युवाओं की जिम्मेदारी पर विशेष बल देते हुए कहा कि “युवा पीढ़ी समाज में परिवर्तन लाने की सबसे महत्वपूर्ण शक्ति है। यदि युवा एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूक, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिपूर्ण और सुरक्षित व्यवहार के प्रति प्रतिबद्ध हों, तो इस महामारी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।” उन्होंने एन एस एस स्वयंसेवकों से स्वास्थ्य-साक्षरता के वाहक के रूप में समाज में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।
एन एस एस सह कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मीनाक्षी ने अपने संबोधन में स्वास्थ्य शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “एड्स जैसी बीमारियों से निपटने के लिए जनजागरूकता सर्वाधिक प्रभावी उपाय है। नियमित स्वास्थ्य परीक्षण, सुरक्षित रक्त संक्रमण और सामाजिक जागरूकता ही इसके नियंत्रण की आधारशिला हैं।”
वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. मृत्युंजय शर्मा ने एड्स के सामाजिक-आर्थिक आयामों पर चर्चा करते हुए कहा कि “यह रोग केवल जैविक संक्रमण नहीं है, बल्कि सामाजिक मिथकों, आर्थिक चुनौतियों और मानसिक अवसाद से भी गहराई से जुड़ा है। समाज को वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और मिथकों का साहसपूर्वक खंडन करना चाहिए।”
इस अवसर पर जन्तु विज्ञान विभाग प्रभारी डॉ. आशा गढ़िया ने महिलाओं एवं किशोरियों के संदर्भ में एचआईवी/एड्स के प्रभावों को रेखांकित करते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, समुचित जन-जागरूकता और लैंगिक संवेदनशील दृष्टिकोण ही सुरक्षित समाज की नींव है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों का दायित्व है कि वे स्वास्थ्य शिक्षा को समावेशी, वैज्ञानिक और सुगम बनाएं। डॉ. गढ़िया ने एड्स की रोकथाम, सावधानियों और सुरक्षित व्यवहार पर व्यावहारिक जानकारी प्रदान की तथा स्वयंसेवकों के प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर दिया।”
वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. निवेदिता अवस्थी ने सामुदायिक सहभागिता के महत्व पर बल देते हुए कहा कि “विश्व एड्स दिवस हमें यह याद दिलाता है कि यह लड़ाई सामूहिक प्रयासों से ही जीती जा सकती है। संस्थान, परिवार, समुदाय और स्वास्थ्य विशेषज्ञ एकजुट होकर ही इस बीमारी के खिलाफ सुरक्षा–कवच तैयार कर सकते हैं।”
एन एस एस एकदिवसीय शिविर के दौरान महाविद्यालय परिसर एवं इसके आसपास स्वच्छता अभियान भी चलाया गया तथा स्वयंसेवकों के मध्य स्वास्थ्य परामर्श सत्र तथा सामूहिक चर्चा गतिविधियों का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर अंजला दुर्गापाल, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रवि जोशी, सह कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मीनाक्षी, वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. मृत्युंजय शर्मा, डॉ. निवेदिता अवस्थी, डॉ. चंपा टम्टा, डॉ. उमेश जोशी, डॉ ललित सिंह बिष्ट, डॉ. मंजुलता जोशी, डॉ. निशा परवीन, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. निशा आर्या, डॉ. आशा गढ़िया, डॉ दर्शन सिंह मेहता, महेश कन्याल, राम जगदीश सिंह, विपिन थापा, सुनील कुमार तथा छात्र संघ उपाध्यक्ष युवराज सिंह तथा भावना राणा, बेअंत सिंह, मनोज जोशी, परमजीत कौर, अनामिका, अनन्या सहित महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण एवं एन एस एस के अधिकांश स्वयंसेवक उपस्थित रहे। एकदिवसीय शिविर एवं जागरूकता कार्यशाला का संचालन डॉ. मीनाक्षी द्वारा किया गया।


