Uttarakhand -: अब ऑनलाइन मिलेगा कुमाऊनी-गढ़वाली बोली भाषा का शब्दकोश, साहित्यकार दंपति ने की पहल

देहरादून| गढ़वाली भाषा के व्याकरण को सहेजने के लिए साहित्यकार दंपति ने पहल करते हुए इंटरनेट का सही इस्तेमाल किया और गढ़वाली कोष डॉट कॉम की शुरुआत की| यह वेबसाइट अभी ट्रायल पर है| इसमें सामान्य बोलचाल साहित्य में प्रयुक्त गढ़वाली बोली भाषा के शब्द वर्ण वाक्य को विस्तार में शामिल किया गया है| गढ़वाली की स्वर व्यंजन कैसी हो, उसे बोलने पर कैसी ध्वनि निकलनी चाहिए इस पर विस्तार में हजारों शब्दों को वाक्य विन्यास के उदाहरण के साथ समझाया गया है| इस वेबसाइट को बनाने वाले लेखक साहित्यकार दंपति रमाकांत बेंजवाल व बीना बेंजवाल ने बताया कि गढ़वाली बोली भाषा पर लेखकीय माध्यम से काफी कम हो रहा है काफी लोग लिखने में भी जुटे हुए हैं| लेकिन नई पीढ़ी तक बोली भाषा के लुप्त हो रहे शब्द, लोकोक्ति, मुहावरों को पहुंचाने के लिए डिजिटल माध्यम की जरूरत महसूस की जा रही थी| इसी को देखते हुए व्याकरण की जानकारी ऑनलाइन दी जा रही है| इस वेबसाइट से लोग अपनी जरूरतों को पूरा भी कर सकेंगे और रूचि लेने पर महत्वपूर्ण जानकारियां भी प्राप्त कर सकेंगे|