
उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले के अस्पतालों में एक भी बर्न वार्ड नहीं है और जिले में किसी भी अस्पताल में आग में झुलसे हुए लोगों को इलाज की सुविधा अच्छी तरह से नहीं मिल पाती। करोड़ों की लागत से खोले गए मेडिकल कॉलेज में भी बर्न वार्ड नहीं है।
बता दे कि आए दिन आग में झुलसे लोगों के मौत की खबर सामने आती रहती है और वहीं कई लोग आग से झुलसकर जिंदगी तथा मौत के बीच संघर्ष करते रहते हैं और इतना समय गुजरने के बाद भी जिले के अस्पताल में आग से झुलसे लोगों के इलाज की कोई सुविधा नहीं है। यदि स्थानीय स्तर पर बर्न वार्ड होता तो बिनसर में जंगल में लगी आग की चपेट में आने से जले हुए चार घायलों को हायर सेंटर रेफर नहीं करना पड़ता। 6 लाख की आबादी वाले अल्मोड़ा जिले में नौ सीएचसी, छः पीएचसी, जिला, महिला, बेस आदि अस्पताल है मगर उनमें बर्न वार्ड की सुविधा नहीं है। दीपावली में पटाखे जलाने के दौरान भी आग लगने के कई हादसे सामने आते हैं लेकिन यहां पर मरीजों के लिए सुविधा न होने के कारण उन्हें हल्द्वानी या फिर बरेली रेफर करना पड़ता है। बिनसर अभ्यारण में वनाग्नि के दौरान झुलसे कार्मिकों को भी इसी के चलते हायर सेंटर रेफर करना पड़ा क्योंकि यहां पर उनके उपचार की सुविधा नहीं है।


