
उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए कई युवाओं ने स्थाई निवास संबंधी फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया था, तथा अब जब उनकी मेडिकल की पढ़ाई पूरी होकर वह डॉक्टर बन चुके हैं तो अब युवा फरार चल रहे हैं।
दरअसल उत्तराखंड राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई करने के लिए राज्य द्वारा 85% सीटों पर उत्तराखंड के युवाओं को लिया जाता है और बाकी बची 15% सीटों पर ऑल इंडिया के युवा पढ़ने आते हैं लेकिन कुछ युवाओं ने उत्तराखंड के बाहर का होने के बावजूद 85% वाले सीटों में प्रवेश लेने के लिए फर्जी स्थाई निवास संबंधी दस्तावेज जमा करवाएं तथा अब जब युवा डॉक्टर बन चुके हैं तो उनका कोई पता ही नहीं है। इसकी पुष्टि बांड की व्यवस्था के तहत एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद डॉक्टर बने युवाओं के तलाश करने से हुई डॉक्टर बनने के बाद जब युवाओं को तलाशा गया तो उनका कोई पता ही नहीं मिल पाया।
कॉलेजों द्वारा जब बांड वाले विद्यार्थियों की सूची प्रशासन को दी गई तो प्रशासन ने नोटिस भेजने के लिए उनके पते से संबंधित जानकारी ली मगर वह भी फर्जी निकली जब स्थानीय लोगों से पूछताछ की गई तो उनका कहना था कि उस नाम से ना यहां पर कोई परिवार रहता था ना ही कोई विद्यार्थी। तथा किसी विद्यार्थी ने तो हद करके कॉलेज में पढ़ाने वाले प्राचार्य के गांव का ही पता दे दिया जब प्राचार्य को इस बात का पता चला तो प्राचार्य ने पूरे गांव को छान मारा मगर प्राचार्य को भी डॉक्टर का कोई पता नहीं चल पाया। डॉक्टरों के इस तरह के फर्जी दस्तावेज जमा करने को लेकर प्रत्येक जिले की प्रशासन की भी लापरवाही सामने आ रही है यदि प्रशासन द्वारा लापरवाही नहीं की जाती तो कॉलेजों में डॉक्टर फर्जी दस्तावेजों के साथ पढ़ाई नहीं करते।


