1 जून से 30 अक्टूबर तक विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी जाती है, लेकिन इस बार घाटी जाने वाले करीब 3 किमी लंबे ट्रैक पर घांघरिया से बामणधौंड़ तक दो जगह पर हिमखंड जमे हुए हैं| ऐसे में नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने यहां करीब 200 मीटर तक बर्फ के बीच में रास्ता बनाया है| जिसके माध्यम से पर्यटक फूलों की घाटी पहुंच सकेंगे|
बताते चलें कि इस साल अप्रैल और मई में फूलों की घाटी क्षेत्र में जमकर बर्फबारी हुई है| अभी भी बार-बार मौसम खराब होते रह रहा है| ऐसे में घाटी में पर्यटकों की आवाजाही के इंतजाम करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया| यहां पड़ी बर्फ को हटाने के लिए 30 मजदूर लगाए गए हैं और जहां बर्फ पिघल रही है वहां क्षतिग्रस्त हुए ट्रक को सुधारा जा रहा है| घांघरिया में घाटी के प्रवेश द्वार पर नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क का कार्यालय भी खोला गया है|
बताते चलें फूलों की घाटी को प्राकृतिक खूबसूरती और जैविक विविधता के कारण 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया| 1931 में फ्रैंक स्मिथ ने इसको नैसर्गिक फूलों की घाटी बताया था| अपने साथी के साथ इस स्थान पर पहुंचे हुए हैं और यहां 3 महीने तक रहे| तब उन्होंने वैली ऑफ फ्लावर्स नामक किताब लिखी, जिसके बाद यह घाटी विश्व प्रसिद्ध हो गई|
बता दें फूलों की घाटी पहुंचने के लिए बदरीनाथ हाईवे से होते हुए गोविंदघाट और यहां से पुलना गांव तक वाहन के जरिए जाया जाता है| पुलना से करीब 9 किमी पैदल चलकर बेस कैंप घांघरिया पहुंचकर यहां से करीब 3 किमी लंबा पैदल रास्ता फूलों की घाटी के लिए जाता है|