देश में बाघों की हो रही मृत्यु पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि केंद्र बाघों की मौत पर उसे जानकारी उपलब्ध कराएं। कोर्ट ने बाघों की मौत के बारे में केंद्र को निर्देश दिए हैं कि वह उसे जानकारी उपलब्ध कराएं। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने बाघों की मौत के बारे में समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लिया। बता दे कि शीर्ष अदालत अधिवक्ता अनुपम त्रिपाठी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह याचिका 2017 में दायर की गई थी और याचिका में मांग की गई थी कि लुप्तप्राय बाघों को बचाया जाए। कोर्ट ने कहा कि यद्यपि याचिकाकर्ता मौजूद नहीं है लेकिन प्रतिवादी भारत में बाघों की कथित मौत के बारे में पता लगाएंगे। साथ ही कोर्ट ने इस मामले को 3 सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। जानकारी के मुताबिक देश में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अनुसार 2012 के बाद सबसे अधिक बाघों की मौतें मध्यप्रदेश में दर्ज की गई है। मध्यप्रदेश में सबसे अधिक 270 बाघों की मौत हुई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि स्थानीय लोग और अधिकारियों द्वारा बाघों को जहर देकर अवैध शिकार करके मारा जा रहा है और इन सब तथ्यों का संज्ञान लेते हुए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तथा केंद्र को निर्देश देते हुए कहा कि बाघों की मौत की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को उपलब्ध कराई जाए।
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