सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लिया यह फैसला

अल्मोड़ा| सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र सिंह भंडारी की उत्तराखंड के सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्ति को विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियम, 2018 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए रद्द कर दिया है| जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने भंडारी की नियुक्ति को रद्द करने और कराने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा|


पीठ ने कहा कि भंडारी की ओर से प्रार्थना की गई कि यदि वह मामले में सफल नहीं होते हैं तो वह विश्वविद्यालय के कुलपति के पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार और इच्छुक हैं|
पीठ ने कहा है कि विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 की धारा 10 और यूजीसी रेगुलेशन 2018 का रेगुलेशन, 7.3.0 के तहत वैधानिक आवश्यकताओं के साथ विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपील कर्ता यानी भंडारी की नियुक्ति अवैध है| उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भंडारी की नियुक्ति को सही तरीके से रद्द कर दिया है और हम उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण से पूरी तरह सहमत है| मामले में इस अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है|
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां तक भंडारी का यह कहना है कि वह अपने अकादमिक करियर के आधार पर कुलपति के रूप में नियुक्त होने के लिए उपयुक्त और सबसे मेधावी व्यक्ति हैं, उसके बाद उन्हें कुलपति नियुक्त किया गया| यह सच हो सकता है कि अपील कर्ता का बहुत अच्छा उज्जवल शैक्षणिक करियर रहा हो, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि वह सबसे मेघावी व्यक्ति है क्योंकि उनकी अन्य मेधावी व्यक्तियों के साथ तुलना नहीं की गई थी|