देहरादून| सहकारी बैंकों में बड़े लोन फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने की कवायद हो गई है| अब सहकारी बैंक को एक करोड़ से ऊपर के लोन देने के लिए शासन से मंजूरी लेनी होगी| सरकार ने बैंकों को यह प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिए हैं|
राज्य में सहकारी मिनी बैंक, जिला सहकारी बैंक समेत राज्य सहकारी बैंकों की ओर से ऋण उपलब्ध कराया जाता है| करोड़ों के बड़े लोन कई बैंकों के स्तर से संयुक्त रूप से भी दिए जाते हैं| लगातार शिकायतें आ रही है कि ऋण देने में तय मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है| जितना लोन लेना होता है उससे डेढ़ गुना अधिक कीमत की संपत्ति गिरवी रखनी होती है| पिछले कुछ सालों में बहुत कम सिक्योरिटी और कई बार तो बिना सिक्योरिटी के फर्जी कागजों के आधार पर भी ऋण दे दिया गए|
इस मामले पर सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने कहा, बैंकों से लोन देने की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जा रहा है| लोन एनपीए ना हो और बैंकों को घाटा न हो इसी लिए मानकों को और मजबूत बनाया जाएगा| एक करोड़ से ऊपर के लोन की मंजूरी को रजिस्ट्रार और प्रशासन स्तर से मंजूरी लेने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी|