नई दिल्ली| प्रदूषण की समस्या से सभी परेशान हैं| अब एक रिपोर्ट आई है जिसमें दावा किया गया है कि सफाई कर्मचारी, कचरा बीनने वाले और सुरक्षा गार्ड सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं| देश में लगभग 97 फ़ीसदी सफाई कर्मचारी, 95 फ़ीसदी कचरा बीनने वाले और 82 फ़ीसदी सुरक्षा गार्ड अपने काम के दौरान प्रदूषण के संपर्क में आ रहे हैं|
यह रिपोर्ट चिंतन पर्यावरण अनुसंधान और कार्रवाई समूह के द्वारा प्रस्तुत की गई है| जिसके मुताबिक, 60 फ़ीसदी से ज्यादा सफाई कर्मचारियों में से 50% कचरा बीनने वाले और 30 फ़ीसदी सुरक्षा गार्ड उन उपायों के बारे में नहीं जानते जिनके जरिए प्रदूषण के जोखिम को कम किया जा सकता है|
अध्ययन में कहा गया है कि कचरा बीनने वाले 75 फ़ीसदी, 86 फ़ीसदी सफाई कर्मचारी और सुरक्षा गार्डों के फेफड़ों का कार्य असामान्य पाया गया| इसके अलावा 17 फ़ीसदी कचरा बीनने वाले, 27 फ़ीसदी सफाई कर्मचारियों, 10 फिसदी सुरक्षा गार्ड फेफडों की गंभीर बीमारियों से पीड़ित मिले हैं|
रिपोर्ट में इससे बचाव के उपाय भी बताए गए है|
जिसके मुताबिक, नाक और गले के जरिए शरीर में पहुंचने वाले प्रदूषण कणों की रोकथाम के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं|
कार्यस्थल के पास हाथ और चेहरा धोने की सुविधा अनिवार्य हो|
प्रदूषण के जोखिम को सीमित करने के लिए कार्य में बदलाव जरूरी है|
लैंडफिल साइट कि आग को रोकने के लिए कूड़े को खाद में तब्दील करना अनिवार्य होना चाहिए|
कचरा जलाने की ड्रोन से निगरानी के अलावा बायोरेमेडीएशन रणनीतियों को क्रियान्वित किया जाना चाहिए|
वही तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से बच्चों की लार में शीशा जैसी गैर जरूरी भारी धातुओं की मौजूदगी बढ़ गई है, जो जैविक खराबी का कारण बन सकती है| इससे स्वास्थ्य और व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं| यह दावा अमेरिका की पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने बच्चों की लार में धातुओं के साथ-साथ कोटिनीन के स्तर को मापने के बाद किया है|