
उत्तराखंड में गर्मियों की शुरुआत हो गई है| इसके साथ ही जल संकट के संकेत भी मिलने शुरू हो गई हैं| गदेरे और झरनों में तेजी से पानी की कमी होने लगी है| पानी कम होने वाले स्रोतों में पहले नंबर पर पौड़ी जिला आता है| जल संस्थान की ग्रीष्मकाल में पेयजल स्रोतों की ताजा रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है|
बताते चलें कि प्रदेश में 4,624 गदेरे और झरनों में तेजी से पानी की कमी होने लगी है| इसमें से 461 पेयजल स्रोत तो ऐसे हैं, जिनमें 76% से ज्यादा पानी कम हो गया है| इसमें पौड़ी जिला पहले नंबर पर है| ग्रीष्मकाल के दौरान पेयजल संकट के लिए जल संस्थान ने सभी स्रोतों का प्राथमिक अध्ययन कराया है| इनमें से 10 फ़ीसदी (461) पेयजल स्रोत ऐसे हैं जिसमें 76% से अधिक पानी सूख चुका है| इनसे अब इतना कम पानी आ रहा है कि आपूर्ति मुश्किल हो चुकी है, वहीं 28 फ़ीसदी यानी 1290 पेयजल स्रोत ऐसे हैं जिनमें 51 से 75% तक पानी सूख चुका है| इस कारण इन जल स्रोतों से जुड़ी आबादी के लिए पेयजल संकट पैदा होने लगा है| इसके अलावा 62 फ़ीसदी (2873) पेयजल स्रोत ऐसे हैं, जिनमें 50% तक पानी खत्म हो चुका है| जल संस्थान पेयजल संकट के वैकल्पिक व्यवस्था बनाने में जुट गया है| पौड़ी जिले के अलावा नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ , चंपावत और बागेश्वर में भी जल स्रोतों में पानी कम होता जा रहा है|
