कांग्रेस का कुमाऊं प्रेम क्या ला पाएगा कांग्रेस के अच्छे दिन? पढ़ें पूरी खबर

देहरादून। बीती शाम कांग्रेस ने आखिरकार लंबी खींचतान के बाद अपने नए प्रदेश अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष का ऐलान कर दिया है, कांग्रेस ने रानीखेत के पूर्व विधायक और तेजतर्रार युवा कांग्रेस नेता करण मेहरा को प्रदेश अध्यक्ष तो पूर्व में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष रहे यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खटीमा सीट से करारी शिकस्त देने वाले भुवन कापड़ी को उपनेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी है।

शायद उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि किसी दल ने अपने सभी अहम दायित्व कुमाऊं की झोली में डाल दिए हैं, इससे पहले 2017 की हार के बाद कांग्रेस ने क्षेत्रीय स्तर पर मैनेजमेंट के लिए नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी कुमाऊं से इंदिरा हृदेश को सौंपी तो प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी गढ़वाल से प्रीतम सिंह को दी गई वहीं भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष को हराने वाले करण मेहरा को उप नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई, बाद में इंद्रा हिरदेश के निधन के बाद कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष दोनों दायित्व पर गढ़वाल के नेताओं को सुशोभित किया कांग्रेस ने प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष जबकि गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी पर फिर भी कांग्रेस को कुछ खास सफलता हासिल नहीं हुई और 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस महज 19 सीटों पर सिमट गई।

अब देखना यह होगा कि क्या तीनों दायित्व कुमाऊं को देखकर क्या कांग्रेस के अच्छे दिन आ पाएंगे? कांग्रेस की नई लीडरशिप के सामने जहां एक और पार्टी को खेलने बाजी गुटबाजी से बाहर निकालने की चुनौती होगी तो वही राज्य में संभावित अगले छह माह में प्रस्तावित विधानसभा उपचुनाव जो कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए होना है यह भी नई टीम के लिए एक बड़ी चुनौती है? इसके अलावा करण मेहरा के सामने अगले वर्ष होने वाले निकाय चुनाव, 2024 के लोकसभा चुनाव साथ साथ ही 2027 के लिए रणनीति तैयार करना बड़ी चुनौतियां होंगी।