उत्तरकाशी| समुद्र तल से 18600 फीट ऊंचाई पर स्थित द्रोपदी का डांडा (डीकेडी) चोटी के आरोहण के समय जब भूस्खलन हुआ तब पर्वतारोही प्रशिक्षुओं का दल चोटी से महज 100 मीटर दूर था| मंगलवार को मौसम साफ होने के कारण प्रशिक्षुओं को बेहद खुशी थी| लेकिन, अचानक हुए हिमस्खलन ने उन्हें संभलने तक का मौका नहीं दिया|
एवलांच में घायल अहमदाबाद गुजरात निवासी दीप सिंह का कहना है कि मैंने अपने कई प्रशिक्षु साथियों और हिमालय की चोटियों को लांघने का हौसला देने वाले दो प्रशिक्षकों को भी खो दिया है| आरोहण अभियान के उत्साह को 2 मिनट के लिए आए बर्फीले तूफान ने क्रेवास में दफन कर दिया है|
इस दल में उत्तरकाशी के मुस्टिकसौंड़ निवासी सूरज सिंह गुसाईं भी शामिल थे, जो इस हादसे में घायल हुए थे| उनका कहना है कि मंगलवार सुबह 4:00 बजे बेस कैंप में उनका 42 सदस्यीय दल डीकेडी आरोहण के लिए निकला| दल में 34 प्रशिक्षु और 7 प्रशिक्षक शामिल थे| इस दल का नेतृत्व निम के प्रशिक्षक सूबेदार अनिल कुमार कर रहे थे| सुबह 7:55 बजे के करीब अचानक हिमस्खलन हुआ| क्रेवास से किसी तरह प्रशिक्षकों ने उन्हें निकाला, जिससे उनकी जान बच पाए|
इसी प्रकार मुंबई निवासी सुनील लालवानी का कहना है कि, उन्हें ऐसा लग रहा था कि वह बर्फ के अंदर लुढ़क रहे हैं| वह करीब आधे घंटे तक बर्फ में दबे रहे| हालांकि उनका मुंह बर्फ से बाहर था तो प्रशिक्षक राकेश राणा, अमित कुमार और दिगंबर ने उन्हें बाहर निकाला|
टिहरी गढ़वाल निवासी घायल प्रशिक्षु राकेश भट्ट इस घटना को याद करके बार-बार रो पड़ते हैं| उनका कहना है कि अधिकांश प्रशिक्षु रस्सी पकड़े हुए थे, वो सभी 50 मीटर गहरे क्रेवास में गिर गए| लेकिन, उनके साथ कुछ साथियों ने उस समय रस्सी नहीं पकड़ी थी, इसलिए छिटकने का मौका मिला| लेकिन, वो भी क्रेवास के अंदर बर्फ में दबे थे| वह अनुभवी प्रशिक्षकों के साथ डीकेडी का आरोहण करने जा रहे थे, इसलिए किसी हादसे के बारे में उन्होंने सोचा भी नहीं था|
निम की अन्य प्रशिक्षकों ने उनके साथ पांच घायल प्रशिक्षुओं को किसी तरह बेस कैंप पहुंचाया|