वर्तमान समय में हम फर्जीवाड़े के कई मामलों को देखते हैं मगर इस बार एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर सभी को काफी हैरानी होगी। बता दें कि उत्तराखंड के टिहरी से अध्यापक के फर्जी दस्तावेजों के साथ नौकरी करने का मामला सामने आया है। जी हां यहां पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षा विभाग में अध्यापक के नौकरी हासिल करने वाले सेवानिवृत्त आरोपित हरिओम सिंह को अदालत ने 7 साल की सजा सुनाई है और साथ में 20,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले में जानकारी देते हुए अभियोजन अधिकारी अजय सिंह रावत व सीमा रानी द्वारा बताया गया कि यूपी बिजनौर ग्राम रामपुर रसरपुर पोओ निवासी हरिओम पुत्र खुशीराम के खिलाफ स्थानीय यशवीर सिंह ने 15 अगस्त 2018 को थाना थत्युड़ में आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया इसमें बताया गया था कि प्रधानाध्यापक द्वारा अपनी प्रथम नियुक्ति में शिक्षा विभाग में दिए गए दस्तावेजों में सामानरुपता नही है और प्रथम नियुक्ति के दौरान कुछ अभिलेख भी प्रस्तुत नहीं किए गए। इसके बाद भी प्राध्यापक ने जौनपुर टिहरी गढ़वाल में पहली नियुक्ति ले ली। बता दें कि प्राध्यापक द्वारा फर्जी दस्तावेज दिखाए गए थे और फर्जी दस्तावेजों के साथ ही प्राध्यापक ने वर्षों तक सरकारी क्षेत्र में कार्य किया और अब रिटायरमेंट के बाद प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने पर प्राध्यापक को 7 वर्ष का कठोर कारावास हो चुका है।
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