उत्तराखंड। अभी फॉरेंसिक लैब में जिस तकनीक का इस्तेमाल विदेशों में हो रहा है अब वही तकनीक उत्तराखंड राज्य की फॉरेंसिक लैब में अपनाई जाएगी। दरअसल जेनेटिक एनालिसिस तकनीक के द्वारा किसी बड़े हादसे या बड़ी आपदा में बुरी तरह खराब हुए शवों की पहचान करने के लिए अपनाई जाती है इसमें संबंधित शव के परिजन का डीएनए एक ही बार में बहुत से शवों के साथ एक खास तरीके के सॉफ्टवेयर की मदद से मैच किया जाता है जिसके बाद कुछ ही सेकेंड के अंदर शव की पहचान हो सकती है।
यह तकनीकन अभी विदेशों में अपनाई जा रही है मगर कुछ ही समय बाद उत्तराखंड में भी इस तकनीक का उपयोग होगा। दरअसल उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से अत्यंत प्रभावित क्षेत्र है। उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों में आई केदारनाथ आपदा व रैणी आपदा के दौरान कई लोग अपने परिजनों के शवों की पहचान नहीं करवा पाए थे क्योंकि भारी आपदा के कारण शव काफी खराब हो चुके थे। और वर्तमान में देश में डीएनए मैचिंग की जो प्रक्रिया है वह काफी लंबी है एक बार में केवल दो ही लोगों के डीएनए उसके मदद से मैच हो पाते हैं।
मगर आगामी समय में उत्तराखंड में एक ही साथ कई डीएनए मैच हो जाएंगे जिस कारण लोगों को अपने परिजनों के शव अंतिम संस्कार के लिए मिल पाएंगे। इस बात की जानकारी डीआईजी पुलिस आधुनिकीकरण सेंथिल अबुदेई ने दी। वर्तमान में डीएनए मैचिंग की लंबी प्रक्रिया के बदले अब आगामी समय में डीएनए मैचिंग के लिए एक नई जेनेटिक एनालिसिस तकनीक का इस्तेमाल एक खास तरीके के सॉफ्टवेयर की मदद से उत्तराखंड के फॉरेंसिक लैब में किया जाएगा। जिससे लोगों को किसी बड़े हादसे या आपदा के बाद अपने परिजनों के खराब हो चुके शवों को ढूंढने में आसानी होगी। और इस तरीके की तकनीक को अपनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा। अबुदेई के अनुसार इस तकनीक की शुरुआत के लिए सॉफ्टवेयर और एनालाइजर मशीन की खरीद लगभग फाइनल हो चुकी है जल्दी यह तकनीक उत्तराखंड में शुरू की जाएगी।