इस बार आसमानी आतिशबाजी का नजारा खास रहेगा। बता दें कि आसमानी आतिशबाजी को 120 प्रति घंटे की दर से देखा जा सकता है। यह आसमानी आतिशबाजी की घटना टूटते तारे की घटना भी कही जाती है और इस खगोलीय घटना को 120 प्रति घंटे की दर से देखा जा सकता है।
आर्यभट्ट परीक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर शशी भूषण पांडे के अनुसार यह खगोलीय घटना बुधवार की रात से शुरू हो जाएगी जो कि गुरुवार की रात को चरम पर रहेगी। उल्काई आतिशी में उत्तरी गोलार्ध की सर्वाधिक आकर्षक खगोलीय घटना इसे माना जाता है जिसका खगोल प्रेमियों को बेसब्री से इंतजार रहता है। बता दे कि यह घटना के जेमिनिड्स उल्कावृष्टि 3200 फेथान नामक धूमकेतु के मलबे से होती हैं। फेथान 524 दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाता है जो सूर्य व बुध के बीच होकर गुजरता है। पृथ्वी के करीब जाते समय ढेर सारा धूल व उल्काओ को धरती के मार्ग पर छोड़ता जाता है और ऐसे में यह आतिशबाजी की घटना देखी जा सकती है।