आज 38 साल बाद सियाचिन ग्लेशियर से मिले शहीद चंद्रशेखर हरबोला के पार्थिव शरीर को लेकर लोगों के बीच काफी सारे सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि आखिर इतने साल बाद कैसे उनका पार्थिव शरीर सुरक्षित मिला है आम लोगों को यह जानकर काफी हैरानी हो रही है।
हालांकि कुछ लोगों को इस बात का जवाब अच्छी तरह से पता है मगर कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें यह नहीं पता कि आखिर सियाचिन ग्लेशियर में इतने समय तक शहीद चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर कैसे सुरक्षित रहा लोगों में यह जानने की तीव्र जिज्ञासा है। बता दें कि सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा रण क्षेत्र है यहां 38 साल तो कोई जीवित नहीं रह सकता मगर यह जरूर है कि यहां पर शव सुरक्षित मिल सकता है जिसका मुख्य कारण यहां का शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस नीचे पहुंचा हुआ तापमान है। इसलिए आम लोगों को जिज्ञासा हो रही है कि आखिर कैसे शहीद का पार्थिव शरीर इतने सालों तक सुरक्षित हैं।
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इस मामले में विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ एसबी मिश्रा का कहना है कि सियाचिन ग्लेशियर 20000 फुट की ऊंचाई पर है और यहां पर सामान्य हालत में रहना मुमकिन नहीं है। ना केवल मनुष्य बल्कि बर्फ के कारण यहां पर अन्य प्राणी भी जीवन यापन नहीं कर सकते हैं और यही कारण है कि यहां पर मानव शरीर को जो बैक्टीरिया और वायरस नष्ट कर सकते हैं वह यहां पर एक्टिव नहीं है जिस कारण यहां पर शव बर्फ में दबे रहने के कारण सालो साल तक सुरक्षित मिलते हैं।बता दें कि केमिकल और बर्फ से मानव शरीर को कई सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता है इस मामले में अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर सीपी भैसोड़ा ने बताया है कि बर्फ और केमिकल के प्रयोग से मानव शरीर को हम सालों साल सुरक्षित रख सकते हैं। यही कारण है कि शहीद चंद्रशेखर हर्बोला का शरीर भी अब तक खराब नहीं हुआ।