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उत्तराखंड राज्य में जेल में भी शिक्षा का प्रचार-प्रसार हो रहा है। बता दे कि अक्सर हम जेल का नाम सुनते ही कांप जाते हैं और हमारे सामने अपराधियों की तस्वीरें आ जाती है। लेकिन हल्द्वानी उप कारागार में निरक्षर विचाराधीन बंदियों का भविष्य सुधारा जा रहा है। साक्षरता मिशन के तहत जेल प्रशासन ने निरक्षर बंदियों को साक्षर बनाने की पहल शुरू की है। हल्द्वानी जेल प्रशासन ने विचाराधीन बंदियों को शिक्षा दिलाने के लिए जेल में ही विद्यालय का काम शुरू किया है। यहां निरक्षर 52 बंदियों को पढ़ाने के लिए एक कक्ष में कक्षाएं चल रही है और पढ़ाया भी कैदियों द्वारा जा रहा है जोकि ग्रेजुएट हैं। यहां पर शिक्षक की जिम्मेदारी 6 कैदियों को सौंपी गई हैं तथा कैदियों को स्कूल जैसा अनुभव देने के लिए ब्लैक बोर्ड लगाया गया है व सुबह तय समय पर कक्षाओं में ड्रेस पहनकर व बैग लेकर पहुंचना होता है, प्रतिदिन चार विषय पढ़ने होते हैं जिसमें हिंदी ,अंग्रेजी ,गणित व विज्ञान शामिल है और जेल प्रशासन द्वारा छात्रों को पढ़ाई हेतु निशुल्क सामग्री भी उपलब्ध कराई जा रही है। स्कूल में शिक्षा लेने वाले छात्रों की उम्र 18 से 21 वर्ष है। यहां पर कई बंदी ऐसे हैं जो अपना नाम भी नहीं लिख पाते थे लेकिन अब काफी अच्छी हिंदी लिखते हैं। यहां पर दो पालियों में कक्षा चलाकर इन कैदियों को साक्षर बनाने का प्रयास किया जा रहा है तथा इन्हें होमवर्क भी दिया जाता है।
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