उत्तराखंड राज्य के नैनीताल में स्थित हाईकोर्ट में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ग्रुप जी परीक्षा मामले में आयोग ने शपथ पत्र दाखिल करते हुए कहा है कि ग्रुप जी परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों में पेपर लीक मामले के दोषी व निर्दोष अभ्यर्थियों की अलग- अलग पहचान करना संभव नहीं है। साथ में शपथ पत्र में यह भी लिखा गया है कि जिस कंपनी आरएमएस टेक्नोसोल्यूशंस को परीक्षा आयोजित कराने का ठेका दिया गया था उस पर अब रोक लगा दी गई है ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितता ना हो सके। इस शपथ पत्र से यह साफ जाहिर होता है कि सरकार चयनित अभ्यर्थियों को फिलहाल नियुक्ति नहीं देगी और अब फिर से नए सिरे से परीक्षा का आयोजन होगा। पेपर लीक घटना सामने आने के बाद सरकार की ओर से 916 पदों पर भर्ती प्रक्रिया को रद्द किया गया था और आयोग की विज्ञप्ति के अनुसार 4 से 5 दिसंबर 2021 को यह परीक्षा आयोजित की गई और 7 अप्रैल 2022 को परिणाम घोषित किया गया। यह परीक्षा करीब डेढ़ लाख अभ्यर्थियों द्वारा दी गई थी जिसमें से 916 का चयन हुआ और प्रमाण पत्रों का सत्यापन भी पूरा हो चुका है लेकिन सरकार द्वारा पेपर लीक होने की शिकायत के बाद यह नियुक्तियां रद्द कर दी गई और सरकार के इस फैसले को अभ्यर्थी जगतपाल सिंह व अन्य ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।इस मामले में आयोग के सचिव सुरेंद्र सिंह की ओर से हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा गया है कि आयोग के लिए दोषी और निर्दोष छात्रों को अलग करना असंभव है क्योंकि प्रश्नपत्र व्हाट्सएप के माध्यम से प्रसारित और लीक किया गया था। पेपर लीक घटना सामने आने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई और इस मामले की जांच साइबर सेल तथा एसटीएफ द्वारा की जा रही है।
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