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उत्तराखंड सरकार की जमीनों को अतिक्रमण मुक्त करने की मुहिम अब जोर पकड़ सकती है| अब तक सरकार के स्तर पर जितने भी प्रयास किए गए वह नाकाफी साबित हो रहे हैं| उत्तराखंड भूमि अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश में कड़े कानूनों का प्रावधान किया गया है|
उत्तराखंड में नया कानून लागू होने से भू-माफिया पर शिकंजा कसने और आम आदमी को राहत मिलेगी| कैबिनेट में पास होने के बाद सरकार इसको लेकर अध्यादेश ला सकती है| बाद में इसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा| जहां पास होने के बाद प्रदेश का नया कानून बन जाएगा|
बता दें, उत्तराखंड भूमि अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश में पहली बार निजी भूमि को भी शामिल किया गया है| इस कानून के तहत शिकायतकर्ता सीधे डीएम से इस तरह के मामले की शिकायत कर सकेगा|
डीएम की अध्यक्षता में राज्य सरकार की ओर से अधिसूचित समिति प्रकरण की विवेचना पुलिस के निरीक्षक रैंक या उससे ऊपर के अधिकारी से कराएगी|
कानून में पीड़ित को राहत देते हुए भूमि अतिक्रमणकर्ता या आरोपी पर ही मालिकाना हक साबित करने का भार डाला गया है| आरोपी सही साबित होने पर न्यूनतम 7 वर्षीय अधिकतम 10 वर्ष तक कारावास की सजा का प्रावधान है| साथ ही अतिक्रमणकर्ता को ऐसी संपत्तियों के बाजार मूल्य के बराबर जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा|
नए कानून में पुराने कब्जों को भी शामिल किया जाएगा और कार्यवाही की जा सकेगी|
इस अध्यादेश के तहत प्रदेश में भूमि अतिक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण करने के लिए राज्य सरकार विशेष न्यायालय का गठन करेगी| इसमें डीएम या डीएम की ओर से अधिकृत किसी अधिकारी की संस्तुति पर भूमि अतिक्रमण या हथियाने के प्रत्येक मामले का संज्ञान लेकर सुनवाई की जाएगी| इसके बाद न्यायाधीश की ओर से आदेश पारित किया जाएगा, हालांकि विशेष न्यायालय के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकेगी|
किसी की जमीन या संपत्ति पर यदि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह अथवा कोई संस्था धमकी, छल या बिना किसी कानूनी अधिकार के बल पर कब्जा करते हैं या कब्जा करने की कोशिश करते हैं तो इसे भी अतिक्रमण की श्रेणी में माना जाएगा|
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