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देहरादून| अंग्रेजों के जमाने की आपराधिक न्याय प्रणाली के तीन प्रमुख संहिताओं और एक्ट को बदलने की तैयारियां जोरों पर हैं| इसके लिए उत्तराखंड पुलिस ने भी आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम सहित विभिन्न कानूनों में बदलाव के लिए 83 सिफारिशें की थी| तीनों कानूनों को पूरी तरह बदले जाने की बात चल रही है| ऐसे में उत्तराखंड पुलिस की भी कुछ सिफारिशें इसमें शामिल होने की उम्मीद है|
बताते चलें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), भारतीय प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम समेत कुछ विशेष कानूनों में बदलाव के लिए वर्ष 2020 में सभी राज्यों से सुझाव मांगे गए थे| सुझाव को तैयार करने के लिए उत्तराखंड पुलिस की एक कमेटी तत्कालीन आईजी कानून व्यवस्था एपी अंशुमन के नेतृत्व में बनी कमेटी ने विचार करने के बाद आईपीसी की धाराओं में सजा बदलने का सुझाव दिया| सीआरपीसी में 31, एनडीपीएस में पांच, आईटी एक्ट में 8 और साक्ष्य अधिनियम में तीन बदलाव का सुझाव दिया गया था| साथ ही इसमें एक सुझाव बंदियों की शिनाख्त संबंधी कानून में भी था| अब सरकार ने संसद में आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को पूरी तरह से बदलने का बिल पेश कर दिया है| इन कानून और संहिताओं के नाम भी बदले जाएंगे| कई महत्वपूर्ण धाराओं में सजा में भी बदलाव होगा| देशद्रोह को पूरी तरह से खत्म करने की बात की जा रही है| साथ ही नाबालिक से दुष्कर्म पर मौत की सजा का प्रावधान भी किया जा सकता है|
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