
उत्तराखंड राज्य में सरकार द्वारा जबरन मतांतरण कराने पर कठोर कानून बनाया गया था। इस कानून के विधेयक पर राजभवन की मुहर लग चुकी है और अब मुहर लगने के बाद संशोधित अधिनियम की राह साफ हो गई है। राज्य में अब जो भी व्यक्ति सामूहिक मतांतरण कराएगा उसे 10 साल तक का कारावास और अधिकतम ₹50000 की जुर्माना राशि भरनी होगी और जबरन मतांतरण को गैर जमानती अपराध माना जाएगा तथा जो भी व्यक्ति पीड़ित होगा उसे न्यायालय के माध्यम से ₹500000 तक की धनराशि भी मिलेगी। राजभवन की मुहर के बाद यह कानून अस्तित्व में आ गया है। बता दें कि पहले इस मामले में न्यूनतम 1 साल अधिकतम 5 साल की सजा मिलती थी मगर अब सजा को बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से मत परिवर्तन करना चाहता है तो 60 दिन पहले इसकी जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष घोषणा करनी होगी। संशोधित अधिनियम में समस्त अपराध गैर जमानती और सत्र न्यायालय में विचारणीय होंगे।
