उत्तराखंड राज्य में बच्चों के लिए कुमाऊंनी किताबें प्रकाशित करवाई गई हैं। बता दें कि यह किताबें हल्द्वानी में प्रकाशित करवाई गई हैं। पहाड़ से पलायन कर मैदानी क्षेत्रों में बसे बच्चों के लिए यह अपनी बोली से जुड़ाव बनाए रखने के लिए डीएम ने बेहतर पहल की है। अब बच्चे अंग्रेजी, हिंदी के साथ कुमाऊंनी बोली व संस्कृति का ज्ञान भी प्राप्त कर पाएंगे। इसके लिए एक से पांच तक की कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों के लिए झुमकी, छुबकी, हंसुलि नाम की किताबे प्रकाशित करवाई गई हैं। मुख्य शिक्षा अधिकारी केएस रावत द्वारा जानकारी दी गई कि डीएम धीरज सिंह गबर्याल की पहल पर इन किताबों का प्रकाशन करवाया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत जनपद के नगरीय क्षेत्र के 3 ब्लॉक हल्द्वानी,रामनगर व कोटाबाग में पढ़ रहे 10,000 बच्चों के लिए यह किताबें मुद्रित कराई गई हैं और इन्हें ना सिर्फ सरकारी बल्कि निजी स्कूलों में भी भेजा जा रहा है तथा नए शैक्षिक सत्र में शिक्षक इन किताबों के माध्यम से बच्चों को कुमाऊंनी बोली की शिक्षा दे पाएंगे। इसके अलावा स्कूलों के साथ- साथ ही यह किताबें पुस्तकालय में भी रखी जाएंगी। गोलगप्पू, मिठै, फूलों रोटी, घुट घुट बाटुई आदि कुमाऊंनी कविताओं और कहानी की पुस्तकों को पुस्तकालय में रखा गया है। इन किताबों से सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अंग्रेजी तथा हिंदी के साथ कुमाऊंनी बोली का ज्ञान भी अर्जित कर पाएंगे और डीएम की पहल से जनपद के 3 ब्लॉकों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू किया जा रहा है। इन तीनों ब्लॉकों में कक्षा एक के बच्चों के लिए धागुली, कक्षा दो हंसूली, कक्षा तीन छुबकि, कक्षा चार के बच्चों के लिए पैजनी, कक्षा पांच के बच्चों के लिए झुमकी पाठ्य पुस्तक प्रकाशित करवाई गई है।
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