उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिला निवासी जितेंद्र यादव द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए कहा गया था कि राज्य सरकार ने वर्ष 2013 में बने प्लास्टिक उपयोग व उसके निस्तारण करने के लिए नियमावली बनाई थी मगर उन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए सचिव पंचायती राज को आदेश दिए हैं कि सभी ग्राम पंचायतों को कूड़ा निस्तारण की सुविधा व संसाधन उपलब्ध कराकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। हाईकोर्ट ने प्लास्टिक निर्मित कचरे पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट का कहना है कि राज्य सरकार शहरी निकायों में टीम बनाकर हर माह निरीक्षण कर प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाएं। टीम में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पुलिस शहरी विकास व जिला प्रशासन के प्रतिनिधि शामिल होंगे और इसके अलावा कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के तहत 5000 से 2 करोड़ का जुर्माना लगाने संबंधी प्रावधान के अनुपालन की रिपोर्ट भी मांगी है। इस मामले में अगली सुनवाई 19 मई को की जाएगी। यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ द्वारा की गई।
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