उत्तराखंड – धीरे-धीरे सामने आने लगा कांग्रेस के अंदर का खोकलापन, हरीश और प्रीतम की जंग ने पकड़ी रफ्तार

कांग्रेस में चुनाव से ठीक पहले एक के बाद एक तमाशा खड़ा हो रहा है| पहले हरीश रावत के ट्वीट ने तमाशा खड़ा किया जो अभी तक पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुआ वहीं अब दूसरी ओर हरीश रावत बनाम प्रीतम सिंह की जंग तेज हो चली है|


चुनाव से ठीक 6 महीने पहले कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष बदले गए| इसमें हरीश रावत कैंप ने प्रीतम गुट को झटका दिया| प्रीतम सिंह को कांग्रेस अध्यक्ष से बदलकर नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया, लेकिन 4 कार्यकारी अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष अपने मन मुताबिक बनाकर प्रीतम ने जवाब भी दिया| इसको लेकर खींचतान अब और अधिक बढ़ गई है| प्रीतम सिंह अब चकराता को छोड़कर हरीश रावत के गढ़ में जाकर प्रचार कर रहे हैं|


देखा जाए तो कुमाऊं मंडल में भी प्रीतम अब लगातार सक्रिय हैं| भीमताल, रामनगर समेत कई स्थानों पर रैलियां की जा रही हैं|


हरीश रावत लगातार चुनाव में कांग्रेस का चेहरा घोषित करने को लेकर दबाव बना रहे हैं| इसे लेकर वह लगातार सोशल मीडिया पर सक्रिय भी हैं| हर दूसरे दिन इस संबंध में उनकी कोई न कोई पोस्ट आती ही रहती है|


अगर प्रीतम सिंह की बात करें तो, वह साफ कह चुके हैं कि दूल्हे का चेहरा ऐन मंडप पर ही नजर आएगा| उनका जोर सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर रहा है| इन दोनों को पूरी तरह यह लग रहा है कि विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की सरकार में वापसी हो रही है| इसलिए ऐसे में सीएम पद को लेकर अभी से धड़ेबाजी हो रही है| जिसके चलते कांग्रेस की गुटबाजी को सड़क पर ला दिया है|


इस जंग में कार्यकर्ता, समर्थक मायूस और असमंजस में है| उनको यह डर सता रहा है कि यह खींचतान कहीं चुनाव में कांग्रेस को नुकसान ना पहुंचाएं|


हम बात करें पहले की तो प्रीतम सिंह और हरीश रावत काफी करीबी थे| और आज देखा जाए तो दोनों में 36 का आंकड़ा है| जाते थे, देखा जाए तो प्रीतम सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने तक भी दोनों के बीच संबंध मधुर थे| लेकिन प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद प्रीतम सिंह का तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के साथ करीबी बढ़ती गई इसी करीबी ने प्रीतम सिंह को हरीश रावत से दूर कर दिया और दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा खड़ा कर दिया|

अब ऐसी स्थिति आ गई है कि दोनों एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं| जिससे सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस पार्टी को हो रहा है| धीरे-धीरे कांग्रेस पार्टी की अंतर कलह के कारण जनता के सामने उनका आंतरिक खोखलापन आ रहा है|

चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी का इस तरह से अपनी ही पार्टी में मतभेद होना इसका सीधा असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा| हो सकता है कि पार्टी को इसका बुरा अंजाम भी देखना पड़े|