
उत्तराखंड राज्य में इन दिनों भर्तियों में कई अनियमितताएं एवं घोटाले सामने आ रहे हैं। इसी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने 2016 में हुई नियुक्तियों को रद्द करने के आदेश दे दिए हैं। स्पीकर के आदेश देते ही पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने उनके इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तदर्थ को पक्का नहीं करना था तो उन्हें 6 माह के भीतर ही निकाल देना चाहिए था आखिर सरकार 6 साल तक क्यों रुकी। उनका कहना है कि सरकार बेरोजगारों पर ध्यान नहीं दे रही है और नियुक्तियों को उच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय द्वारा भी हरी झंडी दिखाई गई थी लेकिन सरकार अब बेरोजगारों पर ध्यान नहीं दे रही है। कुंजवाल का कहना है कि उनके कार्यकाल में विधानसभा सचिवालय चुनाव से पहले गैरसैंण में शिफ्ट किया जाना था। इसलिए तब उसी के आधार पर पदों की मांग की गई और पद भरे भी जा रहे थे लेकिन तभी आचार संहिता लागू हो गई और गैरसैंण की योजना पूरी नहीं हो पाई। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि उनसे पहले जिन अध्यक्षों द्वारा तदर्थ नियुक्तियां की गई थी उन व्यक्तियों को उन्होंने स्थाई किया तथा उनका हक उन्हें दिलाया उसके बाद ही विधानसभा में अन्य भर्तियां शुरू की गई। समय कम था इसलिए कई नियुक्तियों को स्थाई नहीं किया जा सका और अब वर्तमान समय में अस्थाई होने पर उन्हें हटा दिया गया है।
कुंजवाल का कहना है कि जब नई सरकार का गठन हुआ है तो नए अध्यक्ष की यह जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें उनके बारे में सोचना चाहिए था लेकिन अब जाकर 6 वर्ष बाद उन्हें हटाने का निर्णय लिया जा रहा है। बता दे कि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण द्वारा लिए गए इस निर्णय से सियासी हलचल काफी तेज हो गई है।
