
कहते हैं जहां चाह वहीं राह। फिर चाहे कुछ भी हो जाए अगर इंसान के इरादे मजबूत और अटल है तो कोई भी बाधा इंसान को उसके इरादे पूरे करने से नहीं रोक सकती कुछ ऐसा ही कारनामा हरिद्वार के राजकीय इंटर कॉलेज में तैनात अध्यापक प्रदीप नेगी द्वारा किया गया है। प्रदीप नेगी को उनकी दिव्यांगता भी नहीं डिगा पाई और उनकी मेहनत तथा होसले के चलते राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए उनका चयन हो चुका है।राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित होकर उन्होंने धर्मनगरी हरिद्वार के साथ देश और प्रदेश का गौरव भी बढ़ाया है।
बता दें कि अध्यापक प्रदीप नेगी ना केवल बच्चों बल्कि अध्यापकों को भी ज्ञान देते हैं। अध्यापक प्रदीप नेगी को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार ब्लॉग, मोबाइल ऐप ,वेबसाइट ,यूट्यूब चैनल जैसे नवाचार शिक्षा साधनों के लिए दिया जा रहा है। अध्यापक की इस उपलब्धि से उनके परिवार और पूरे जिले में हर्ष की लहर है तथा उन्हें लगातार बधाई के लिए फोन आ रहे हैं। बता दें कि शिक्षक प्रदीप नेगी मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल जिले के रहने वाले हैं और जब वह 2 वर्ष के थे तब उन्हें पोलिया ने जकड़ लिया जिसमें उनका एक पैर खराब हो गया और दिव्यांग होने के कारण वह समाज में खुद को हीन समझने लगे इस दौरान उनके शिक्षक ने उनका हौसला बढ़ाया और उनके अंदर कुछ कर दिखाने का जुनून आया। हालांकि उन्हें उच्च शिक्षा से लेकर यहां तक पहुंचने के लिए कई कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा और वर्ष 1998 में उनका चयन सहायक अध्यापक के पद पर अति दुर्गम क्षेत्र के हाई स्कूल में हुआ। वह क्षेत्र इतना दुर्गम था कि उन्हें खच्चर पर बैठकर स्कूल जाना पड़ता था।कुछ समय बाद उनका स्थानांतरण जीआईसी रुड़की में हुआ और 2006 में वह अर्थशास्त्र के प्रवक्ता पद पर चयनित हुए। जिसके बाद उन्होंने अपने विषय को लेकर मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर, टूल्स, वेबसाइट ब्लॉक बनाएं। उनके द्वारा शिक्षा के लिए कई मॉड्यूल्स भी विकसित किए गए हैं। बता दें कि अध्यापक प्रदीप नेगी को वर्ष 2014 में आईसीटी उत्कृष्ट प्रयोग के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिला और 2016 में राज्य विकलांग पुरस्कार के लिए वे चुने गए।यहां तक कि पिछले साल उन्हें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी सम्मानित किया गया।।
