
उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में पानी की कमी होने के बावजूद सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। बता दे कि उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में गर्मियों में लोगों को पानी की कमी से जूझना पड़ता है और किसानों को भी इस दौरान काफी परेशानियां झेलनी पड़ती है। पिथौरागढ़ जिले में बीते 20 सालों से 800 से अधिक नहरों में पानी नहीं बह रहा है और इनमें से कई नहरे ऐसी हैं जो कि पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं और नहरों के स्रोत में पानी ना होने के कारण किसान इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। हर साल गर्मियों में किसानों को मौसम की मार झेलनी पड़ती है और सूखे के कारण जिले में रबी की फसल चौपट हो गई हैं इसके बावजूद सिंचाई के लिए बनाई गई 800 से अधिक नहर व गूलें किसानों के किसी भी काम नहीं आ रही हैं। अक्टूबर से जनवरी तक इस साल सूखे जैसे हालात रहे। जिले में रबी की फसल की बुवाई के बाद पहली बारिश होने से जमाव प्रभावित हुआ और कई जगह फसल खड़ी भी हुई तो बारिश न होने के कारण पौधे पीली पड़ गई। जिले के 72,000 किसान पानी की समस्या से काफी परेशान हैं। पहले सूखे ने फसल को खराब कर दिया और अब बेमौसम बारिश ने रही सही कसर भी पूरी कर दी है। किसानों का कहना है कि यहां पर नहरे तो है मगर उनमें पानी नहीं बह रहा है जिससे फसल बर्बाद हो गई है।जिले में सिंचाई के लिए नहर व गुलें बनाई गई हैं मगर गलत निर्माण और देखरेख के अभाव के चलते यह किसानों के काम नहीं आ पा रही है। इस तरह से नहरों में पानी ना होने के कारण पिथौरागढ़ के किसान काफी परेशान हैं।
