उत्तराखंड -: यहां स्कूल में दलितों ने ऊंची जाति की महिला के बनाए खाने को खाने से किया इनकार

हम सभी सोच रहे हैं कि हमारा देश विकास कर रहा है, तरक्की कर रहा है, हमारा देश स्वतंत्र हो गया है, अंग्रेजों से तो हम स्वतंत्र हो गए लेकिन उस सोच से अभी भी हम स्वतंत्र नहीं हुए हैं जिससे हमें सबसे पहले स्वतंत्र होना चाहिए था| आज भी देश जाति के प्रति भेदभाव से स्वतंत्र नहीं हुआ है, आए दिन ऐसे मामले सुनने को मिलते हैं जहां ऊंची जाति नीची जाति के प्रति भेदभाव दिखाई देता है| ऐसा ही एक मामला उत्तराखंड में चंपावत जिले से सामने आ रहा है|

चंपावत जिले की सूखीढांग इंटर कॉलेज में भोजन पकाने को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है| पहले तो एससी भोजन माता के हाथों से बना खाना खाने से सामान्य वर्ग के बच्चों ने मना कर दिया था| लेकिन अब सामान्य वर्ग की भोजन माता के बनाए भोजन का एससी वर्ग के छात्र-छात्राओं ने बहिष्कार शुरू कर दिया है| इनका कहना है कि ‘ जब एससी वर्ग की भोजन माता के हाथों का भोजन सामान्य वर्ग के विद्यार्थी नहीं खा सकते तो वह भी सामान्य वर्ग कि भोजन माता के हाथ से बना खाना नहीं खाएंगे’


इस विवाद को लेकर प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने खंड शिक्षा अधिकारी को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि शुक्रवार को राजकीय इंटर कॉलेज सुखीढांग में कक्षा 6 से 8 तक के कुल 58 बच्चे पहुंचे| इस दौरान जब विद्यालय प्रबंधन ने सभी बच्चों को एमडीएम में भोजन के लिए बुलाया तो एससी वर्ग के बच्चों ने सामान्य वर्ग की भोजन माता के हाथ से बना खाना खाने को मना कर दिया|


इस प्रकार की मामले देख कर बड़ा दुख होता है कि आज भी जाति को लेकर भेदभाव पहले की तरह बना हुआ है| यह सोचकर और अधिक दुख होता है कि इसमें देश की आने वाली पीढ़ी बच्चे भी शामिल है| क्योंकि आने वाले वक्त में इस देश का भविष्य इन्हीं बच्चों के हाथों में होगा|