उत्तराखंड -: राज्य में लागू होगा देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून, बोर्ड और विवि परीक्षाओं पर भी लागू करने का सुझाव

देहरादून| शासन को न्याय विभाग ने 10वीं 12वीं और विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं पर भी नकल विरोधी कानून लागू करने का सुझाव दिया है| अगर सुझाव लागू हुए तो यह देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून होगा|


कार्मिक सचिव शैलेश बगौली ने न्याय विभाग से अध्यादेश के सुझाव के साथ लौटाने की पुष्टि की है|
बताते चलें कि कुछ दिन पहले कार्मिक विभाग ने उत्तराखंड सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 न्याय विभाग को परामर्श के लिए भेजा| जिसके बाद न्याय विभाग ने अपने सुझाव भेज दिए हैं| अब अध्यादेश के ड्राफ्ट में जरूरी सुझाव को शामिल करते हुए उसे दोबारा न्याय विभाग और उसके बाद विधायी विभाग को भेजा जाएगा और फिर अध्यादेश कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा|
इस मामले में सीएम धामी ने कहा कि ‘हम नकल विरोधी अध्यादेश लेकर जल्द ला रहे हैं| उसमें कठोर प्रावधान होंगे| नकल कराने और करने वाले को 10 साल की सजा होगी| कोई अभ्यर्थी संलिप्त पाया जाएगा तो अगले 10 वर्ष तक वह परीक्षा में भाग नहीं ले पाएगा साथ ही नकल कराने वालों की संपत्ति कुर्क की जाएगी|’
न्याय विभाग ने कई सुझाव दिए हैं जिसके अनुसार,
यदि किसी रिजॉर्ट पर या भवन में नकल कराई जा रही है तो वहां धन शोधन अधिनियम (मनी लांड्रिंग एक्ट) की तर्ज पर बिना किसी सर्च वारंट के छापा मारकर सील करने और गिरफ्तारी की जा सकेगी|
सरकार चाहे तो नकल रोधी कानून में शिक्षा बोर्ड और विश्वविद्यालयों के तहत महाविद्यालयों की परीक्षाओं को भी शामिल किया जा सकता है| इन परीक्षाओं में नकल के मामलों में 6 माह से एक साल तक की सजा का प्रावधान करने का सुझाव दिया गया है| इसे कदाचार की श्रेणी में रखा जाए और विश्वविद्यालय नकलची छात्र के लिए अपने नियमों और परिनियमों के अनुरूप कार्यवाही करें|
कानून के दायरे में परीक्षा कराने वाली कंपनी को भी शामिल किया जाए|
ओएमआर शीट जलाने, नष्ट करने या लूटने के मामले को भी 10 साल की सजा के दायरे में लाया जाए|
ऐसे मामलों के अपराधियों को जमानत नहीं दी जाए| यह गैर जमानती अपराध की श्रेणी में हो| जमानत तभी दी जाए जब यह साबित हो कि गिरफ्तार व्यक्ति दोषी नहीं है|
अपराध में शामिल सरकारी कर्मचारी और मुज्लिम के बीच बात में कोई समझौता न हो पाए इसे रोकने के लिए न्याय विभाग ने प्रावधान सुझाएं है|
चाकू, रिवाल्वर या हथियार दिखाकर डराने धमकाने वाले को भी कानून के दायरे में लाया जाए|
पुलिस सुरक्षा में चूक होने पर विभागीय स्तर पर कार्रवाई होगी|
इसके अलावा न्याय विभाग ने यह परामर्श भी दिया है कि न्यायालय में आरोप तय होने या दोष सिद्ध होने पर ही अभ्यर्थी को 10 साल तक परीक्षाओं के लिए प्रतिबंध किया जाए| अध्यादेश में अभी एफआईआर दर्ज होने पर अभ्यर्थी पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान किया गया है|