
देहरादून| सरकार जल्द ही सरकारी नौकरियों में राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए 10% क्षैतिज आरक्षण बहाल करने के लिए अध्यादेश लाने जा रही है| उम्मीद है कि 10 फरवरी को कैबिनेट बैठक में इसका प्रस्ताव आएगा|
वन मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में राज्य आंदोलनकारियों के लिए सरकारी नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण पर विचार के लिए सरकार ने मंत्रिमंडलीय उप समिति गठित की है| बृहस्पतिवार को विधानसभा में उप समिति की बैठक हुई| जिसमें सबसे पहले राज्य आंदोलनकारियों के प्रत्यावेदनों को सुना गया|
मिली जानकारी के अनुसार उप समिति की ओर से आरक्षण बहाल का निर्णय लिया गया है| आगामी कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव आ सकता है|
बता दें कि एनडी तिवारी सरकार ने वर्ष 2004 में राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी में 10% क्षैतिज आरक्षण का शासनादेश जारी किया था| यह शासनादेश आंदोलनकारियों को विशेष श्रेणी मानते हुए जारी हुआ था| इसका लाभ लोक सेवा आयोग के दायरे में आने वाली नौकरियों एवं राज्याधीन सेवाओं में दिया गया| सैकड़ों आंदोलनकारियों ने इसका लाभ लिया, लेकिन त्रिवेंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के इस शासनादेश को रद्द कर दिया था| इसके बाद धामी सरकार ने वर्ष 2022 में इसका विधेयक पारित करके राज्यपाल को भेजा, लेकिन राजभवन ने इस पर आपत्ति लगाकर लौटा दिया था| यह आपत्ति लगाई गई कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन कर रहा है|
मामले में वरिष्ठ आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान का कहना है कि क्षैतिज आरक्षण राज्य का विषय है| सरकार ने आंदोलनकारियों को विशेष श्रेणी मानते हुए इस आरक्षण को देना जारी रखा, जो संविधान सम्मत है|
