Uttarakhand- खटीमा से भगाया हल्द्वानी से निकाला जब कहीं नहीं मिला इलाज तो अस्पताल के गेट पर हुआ महिला का प्रसव

उत्तराखंड राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं अभी भी काफी पिछड़ी हुई है जिसका पता आए दिन चलता है कुछ दिनों पहले एंबुलेंस में ही एक महिला का प्रसव कराना पड़ा जिससे यह पता चलता है कि राज्य में कैसी स्वास्थ्य सेवाएं हैं। यही नहीं बल्कि इस बार स्वास्थ्य सेवाओं में कमी के कारण एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे देखकर लोगों के मन में क्रोध और दया दोनों ही उत्पन्न होना स्वाभाविक होगा जी हां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गृह नगरी खटीमा के टेडाघाट निवासी मनोज कुमार की पत्नी को प्रसव पीड़ा होने लगी जिसके बाद उनकी 22 वर्षीय पत्नी प्रीति को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया और वहां पर उन्हें सिजेरियन करने की सलाह दी गई जिसके लिए उन्होंने सहमति जता दी लेकिन बेहोशी के डॉक्टर ना होने के कारण उन्हें वहां से भगा दिया और निजी अस्पताल में 30,000 से ज्यादा का खर्चा बताया गया मनोज के पास इलाज के लिए इतने पैसे नहीं थे जिसके बाद उनकी पत्नी को सुशीला तिवारी अस्पताल ले आए तब रात के करीब 2:30 बजे थे वह पत्नी को इमरजेंसी वार्ड में ले गए मगर वहां पर भी डॉक्टरों ने उन्हें भगा दिया। डॉक्टर का कहना था कि बच्चा तिरछा है और उन्हें प्रसव के लिए कहीं और ले जाने के लिए कहा मनोज ने बताया कि उन्होंने बच्चे की जांच तक नहीं की और रात के समय कहीं और ले जाना संभव नहीं था इसलिए वह अपनी पत्नी प्रीति को लेकर अस्पताल के गेट के पास बैठ गए जहां पर उनके साथ उनकी मां भी थी वही सुबह के 4:00 बजे उनकी पत्नी को और अधिक दर्द होने लगा तब मां ने उन्हें बुलाया और मोबाइल की रोशनी से उनकी पत्नी का अस्पताल के गेट के पास ही प्रसव कराया उनकी पत्नी की चीख पुकार अस्पताल के किसी भी स्टाफ ने नहीं सुनी और गेट पर ही प्रसव कराना पड़ा इस बात की सूचना जब तीमारदार को लगी तो उसने अंदर से दो नर्स को बुलाया जो कि बच्चे और महिला को अंदर ले गए। मनोज ने बताया कि उनकी बात वहां पर किसी ने नहीं सुनी और उन्हें मजबूरन गेट पर प्रसव कराना पड़ा।