Uttarakhand -: चुनाव प्रचार के लिए नारे व गीतों में इन भाषाओं को महत्व देगी भाजपा, सीधी उतरेगी वोटरों के दिल में

देहरादून| आगामी विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही वक्त शेष रह गया है| 14 फरवरी को उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई है| ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियों ने प्रचार के लिए कमर कस ली है| कोरोना के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखकर चुनाव प्रचार किया जाएगा| भाजपा लोगों के दिलों में उतरने के लिए या कहें की वोटरों को अपनी ओर खींचने की रणनीति पर तेजी से काम शुरू कर रही है|

इस कड़ी में चुनाव प्रचार के लिए तैयार हो रहे नारे व गीतों में गढ़वाली, कुमाऊनी व जौनसारी बोलियां को अधिक महत्व दिया जाएगा, साथ ही पंजाबी गीत व नारे भी तैयार किए जाएंगे| इसके पीछे पार्टी की यह मंशा है कि क्षेत्रवाद मतदाताओं तक उनकी बोली में ही अपनी बात पहुंचाई जा सके| साथ ही भाजपा संदेश देने का प्रयास भी करेगी कि वह उत्तराखंड की लोक विरासत के संरक्षण को लेकर अधिक सजक है| राज्य में चुनाव प्रचार के लिए न सिर्फ गीत व नारे बल्कि नुक्कड़ नाटक में भी भाजपा स्थानीय बोली भाषाओं का समावेश करेगी| जानकारी के अनुसार नुक्कड़ नाटक भी क्षेत्रवार बोली भाषाओं में तैयार किए जा रहे हैं| इसके अलावा जनता को उसी की बोली में राज्य व केंद्र सरकार की उपलब्धियों और आगे के रोडमैप की जानकारी भी दी जाएगी|
आने वाले दिनों में स्थानीय बोली भाषाओं में तैयार हो रहें यह गीत और नारे उत्तराखंड में गूंजते नजर आएंगे|