देहरादून| विजिलेंस की ओर से की जा रही वर्ष 2015 में हुई दारोगाओं की भर्ती की जांच में 30 से 35 की नौकरी पर संकट आ सकता है| जांच में गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद गड़बड़ी का शक और गहरा गया है|
कहा जा रहा है कि गिरफ्तार एईओ ने पूछताछ में दारोगा भर्ती मामले में काफी जानकारी उपलब्ध कराई है| दारोगा भर्ती मामले में हुई गड़बड़ी में हाकम सिंह और दिनेश चंद्र दोनों का हाथ होने की बात सामने आ रही है, क्योंकि विवि के सेवानिवृत्त अधिकारी पेपर प्रकाशित करने वाली कंपनी आरएमएस टेक्नो सोल्यूशंस के मालिक राजेश चौहान के संपर्क में था| इसके अलावा भर्ती हुए कुछ दारोगाओं का हाकम सिंह के साथ संपर्क रहा|
बताते चलें कि वर्ष 2015 में हुई भर्ती तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में हुई थी| दारोगा के 339 पदों पर हुए सीधी भर्ती की परीक्षा की जिम्मेदारी गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर को दी गई थी| एसटीएफ ने जब जीबी पंत विश्वविद्यालय के पूर्व असिस्टेंट एस्टेब्लिशमेंट ऑफिसर (एईओ) दिनेश चंद्र को गिरफ्तार किया तो उससे हुई पूछताछ में गड़बड़ी के कई तथ्य हाथ लगे| आरोपी दिनेश चंद्र वर्ष 2006 से 2016 तक विश्वविद्यालय के परीक्षा सेल में तैनात था|