उत्तराखंड -: पहाड़ों के प्रति डॉक्टरों की बेरुखी के बाद सरकार उठाने जा रही ये बड़ा कदम

अब उत्तराखंड सरकार बॉन्ड तोड़ने वाले डॉक्टरों से दो करोड़ रुपए तक जुर्माना वसूलने की तैयारी कर रही है|


उत्तराखंड में 50 हजार रुपए में डॉक्टर बनने के बाद कई डॉक्टरों ने जुर्माना देकर पहाड़ से नाता तोड़ लिया| बॉन्ड की शर्त के अनुसार मेडिकल की पढ़ाई पूरी होने के बाद ऐसे डॉक्टरों को पहाड़ में सेवाएं देनी होती है| लेकिन यह डॉक्टर जुर्माना देकर बॉन्ड तोड़ने का विकल्प चुनते हैं| अब तक ऐसे डॉक्टरों की संख्या 193 है|
अब पहाड़ के प्रति डॉक्टरों की इस प्रकार की बेरुखी के बाद सरकार बॉन्ड की शर्तों को और सख्त बनाने वाली है, जिसके तहत सरकार बॉन्ड तोड़ने वाले डॉक्टरों से दो करोड़ रुपए तक जुर्माना वसूलेगी|
बताते चलें कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता के लिए सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए बॉन्ड व्यवस्था लागू की थी| इसमें सस्ती फीस पर एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए छात्रों से बॉन्ड भरवाया जाता है| इसमें शर्त यह है कि पढ़ाई पूरी होने के बाद डॉक्टरों को 5 साल तक पहाड़ में सेवाएं देनी होगी| लेकिन पढ़ाई पूरी होने के बाद बॉन्डधारी डॉक्टर पहाड़ों में सेवाएं देने से मना करते हैं साथ ही विभाग की ओर से तैनाती देने के बाद अस्पतालों से गायब हो जाते हैं| अगर बॉन्ड तोड़ने पर सरकार ने कार्रवाई की तो डॉक्टर लाखों रुपए जमा करने को तैयार हो जाते है|
सरकार ने इसी कारण दून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में बॉन्ड व्यवस्था को समाप्त कर दिया है| वर्तमान में राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर और अल्मोड़ा में एमबीबीएस पढ़ाई के लिए बॉन्ड की व्यवस्था जारी है|
बता दें कि बिना बॉन्ड वाले डॉक्टरों की फीस चार लाख तक होती है, जबकि बॉन्ड भरने वाले डॉक्टरों से सरकार 50 हजार फीस लेती है|