
उत्तराखंड राज्य में आपदा के कारण दो माह तक मार्ग बंद होने से दारमा घाटी अलग-थलग पड़ गई थी लेकिन अब दो माह बाद पर्यटको के लिए घाटी के द्वार खुल चुके है। मार्ग खुलने के साथ ही पर्यटक दारमा जाकर पंचाचुली ग्लेशियर बेस कैंप तक पहुंचने लगे हैं और अब ना सिर्फ आदि कैलाश तथा मुनस्यारी बल्कि दारमा मार्ग पर भी पर्यटकों की चहलकदमी देखने के लिए मिल रही है। उच्च हिमालय दारमा घाटी में पंचाचुली ग्लेशियर सर्वाधिक आकर्षक स्थल है जहां पर जीरो पॉइंट तक पहुंचते हैं यहां पहुंचना बेहद रोमांचक माना जाता है और पंचाचुली की हिम रेखा तक पहुंचना तो एक अलौकिक आनंद की अनुभूति कराता है तथा पंचाचुली ग्लेशियर बेस कैंप तक पहुंचने के लिए इनर लाइन परमिट के औपचारिकता नहीं होने से यहां पर काफी आसानी से पहुंचा जा सकता है।
बता दे कि दारमा काफी आकर्षक जगह है और यह स्थान प्रकृति की गोद में बसा हुआ है। यहां पर्यटकों की आवक फिर से बढ़ने लगी है। कोरोना काल से पूर्व पंचाचुली ग्लेशियर बेस कैंप तक पहुंचने वालों की प्रतिवर्ष 8 से 10 हजार तक संख्या थी और मार्ग बनने से सुबह धारचूला से पंचाचुली बेस कैंप जाकर पर्यटक शाम को लौट सकते थे लेकिन यहां पर पर्यटक बेस कैंप पर बनी आवासीय सुविधा में रहना पसंद करते हैं और इस वर्ष दारमा को जोड़ने वाले मार्ग आपदा के कारण क्षतिग्रस्त हो गए तथा दो माह बाद बीते सप्ताह दारमा के लिए मार्ग खुला है। हालांकि अभी भी कई क्षेत्र खतरनाक बने हैं इसके बावजूद पर्यटक दारमा पहुंचने लगे हैं।