उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता -: मुख्यमंत्री धामी ने चुनाव से पहले किए गए वादे पर बढ़ाया कदम, पर आसान नहीं होगी राह

लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी ने देश में समान नागरिक संहिता की जो कवायद चलाई है उसे उत्तराखंड में मुख्यमंत्री धामी पूरा करने चले हैं लेकिन उनकी राह आसान नहीं होगी क्योंकि गोवा को छोड़कर देश के किसी भी राज्य या केंद्र के स्तर से समान नागरिक संहिता अभी तक लागू नहीं हो पाई है| गोवा का भी भारत में विलय होने से पहले से ही वहां पुर्तगाल सिविल कोड 1867 लागू है| समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड सभी धर्मों के लिए एक ही कानून है अभी तक हर धर्म का अपना अलग-अलग कानून है जिसके हिसाब से व्यक्तिगत मामले जैसे शादी, तलाक आदि पर निर्णय होते हैं| हिंदू धर्म के लिए अलग ,मुसलमानों के लिए अलग और ईसाई समुदाय का अलग कानून है| समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद सभी नागरिकों के लिए एक जैसे कानून होंगे|
हमेशा से ही समान नागरिक संहिता भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में रहा है| 1989 के आम चुनाव में पहली बार भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में नागरिक संहिता का मुद्दा जोड़ा था| जिसके बाद 2014 के आम चुनाव और फिर 2019 के चुनाव में भी भाजपा ने इस मुद्दे को घोषणा पत्र में शामिल किया| भाजपा का यह मानना है कि जब तक यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट को अपनाया नहीं जाता तब तक लैंगिक समानता नहीं आ सकती|
सरकार से समान नागरिक संहिता पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर दिल्ली हाईकोर्ट तक सवाल कर चुकी है| 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए यह कहा था कि समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कोई कोशिश नहीं की गई| पिछले वर्ष जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा था कि समान नागरिक संहिता जरूरी है वर्तमान समय में हर धर्म के लोगों से जुड़े अलग-अलग कानून है|
समान नागरिक संहिता का मसला विधि आयोग के पास है वरिष्ठ कानूनविद आरएस राघव का कहना है कि निश्चित तौर पर अनुच्छेद 44 के तहत राज्य सरकार अपने राज्य के नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता बना सकती है लेकिन इसे लागू कराने के लिए केंद्र को भेजना होगा इसके बाद राष्ट्रपति से मुहर लगने पर ही यह लागू हो सकती है|
बताते चलें कि तुर्की, सूडान, इंडोनेशिया, मलेशिया ,बांग्लादेश, इजिप्ट ,पाकिस्तान दुनिया के इन देशों में समान नागरिक संहिता लागू है| अगर उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होती है तो उत्तराखंड देश का दूसरा ऐसा राज्य बनेगा जहां समान नागरिक संहिता लागू होगी| इससे पूर्व गोवा में समान नागरिक संहिता है