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उत्तराखंड के जाने-माने कवि “गिर्दा”ने लिखा..
आज हिमालय जगा रहा है तुम्हें, की जागो जागो मेरे लाल। मत करने दो अब नीलाम मुझे. मत होने दो मेरा हलाल. पत्थर बेचा मिट्टी बेचे बेचे जंगल हरे बांस के, लीसा गडान के घावों से दी, गई खाल मेरी उतार.
संगीत गीत सब भेज दिए .मेरे इन सुमधुर कंठो का सुर बेच दिया. सब बेच दिया ठंडा पानी ठंडी बयार.चलन आज का नहीं पुराना है, छानिगें इतिहास तो यही मिलेगा जिनको भी अपने कांधे बिठाया हमने, वही बन के काल हमारे यही सही इतिहास कहेगा..
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