
उत्तराखंड सरकार को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उत्तराखंड गौण खनिज (रियायत) नियमावली 2001 में किए गए संशोधन की अधिसूचना के शासनादेश को खारिज कर दिया गया था|
बता दें, हाईकोर्ट के फैसले से असहज उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दायर की थी|
दरअसल, गत 26 सितंबर को हाईकोर्ट ने सत्येंद्र कुमार तोमर बनाम उत्तराखंड राज्य व अन्य के मामले में खनिज नियमावली में संशोधन के शासनादेश को रद्द कर दिया था| हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश को नियमों के विपरीत माना था, हालांकि सरकार ने न्यायालय में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की उस अधिसूचना का हवाला दिया था, जिसके आधार पर उसने कृषि योग्य भूमि तैयार करने के लिए भूमि समतलीकरण, मत्स्य पालन के लिए तालाब निर्माण और वर्षा काल में जल संग्रह के लिए स्टोरेज टैंक बनाने के लिए पर्यावरणीय अनुमति में छूट दे दी थी|
बता दें इसके तहत नदी किनारे की ऐसी भूमिका पर निर्माण संबंधी गतिविधियों को गैर खनन कार्य घोषित कर दिया गया था|
कोर्ट ने इस संशोधन को अमान्य करार दिया| जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दायर कर दी| जहां सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पैरवी की| सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को स्थगित कर दिया| इस फैसले से जनहित एवं विकास कार्यों की गति को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही नदी में बाढ़ आने से किसानों की क्षतिग्रस्त भूमि में जमा उपखनिज का उठान कर भूमि को पुनः कृषि योग्य बनाया जा सकेगा| मत्स्य पालन के लिए तालाबों के निर्माण आदि कार्य भी किए जा सकेंगे| इससे किसानों और निजी भू-स्वामियों की आजीविका व रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा|
