देश के सुप्रीम कोर्ट ने माता-पिता के दबाव में आकर आत्महत्या करने वाले बच्चों को लेकर बड़ी बात कही है।बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को कहा है कि जो बच्चे कठिन प्रतिस्पर्धा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और माता-पिता का दबाव उन पर रहता है ऐसे में आत्महत्याओ की संख्या बढ़ रही है।
एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ में असहायता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियों में न्यायपालिका निर्देश नहीं दे सकती है। याचिका में छात्रों की आत्महत्या का हवाला देते हुए तेजी से बढ़ते मामलों को लेकर संस्थाओं के नियमन की मांग की गई है। पीठ के वकील मोहिनी प्रिया से कहा गया है कि यह सब आसान नहीं है इन सभी घटनाओं के पीछे माता-पिता का दबाव है बच्चों से ज्यादा माता-पिता उन पर दबाव डालते हैं और ऐसी परिस्थितियों में अदालत निर्देश पारित नहीं कर सकती। बता दे कि वकील मोहिनी प्रिया के जरिए यह याचिका मुंबई स्थित डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण मालपानी द्वारा दायर की गई है जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि हममें से ज्यादातर लोग नहीं चाहेंगे कि कोई कोचिंग संस्थान हो और स्कूल की स्थितियां भी देखे तो वहां पर कड़ी प्रतिस्पर्धा है तथा छात्रों के पास इन कोचिंग संस्थानों में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है देश में लगभग 8.02% छात्र आत्महत्या से मर जाते हैं। 2020 के आंकड़ों की बात करें तो देश में लगभग 8.02% छात्रो ने आत्महत्या की है। पीठ ने सुझाव दिया है कि याचिकाकर्ता अपने सुझावों के साथ सरकार से संपर्क करें और वकील प्रिया ने उचित मंच पर जाने के लिए याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी जिसकी अनुमति भी अदालत ने दे दी है।