नई दिल्ली| केंद्र सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कल मेडिकल की ऑल इंडिया पीजी सीटों पर 27 और 10 फ़ीसदी आरक्षण देने के लिए हरी झंडी दे दी| इस फैसले के लिए शीर्ष अदालत ने कहा कि आरक्षण का मेरिट से कोई टकराव नहीं है बल्कि यह उसके वितरणीय प्रभाव को आगे बढ़ाता है|
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला देते हुए कहा कि प्रतियोगी परीक्षाएं आर्थिक सामाजिक लाभों को प्रदर्शित नहीं करती जो कुछ ही वर्गों को उपलब्ध है, मेरिट को सामाजिक रूप से संदर्भित करना चाहिए|
बता दे कि सर्वोच्च अदालत ने बीते 8 जनवरी को ओबीसी और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को क्रमशः 27 और 10 फ़ीसदी आरक्षण के साथ ही नीट-पीजी और नीट-यूजी के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दी थी| इस फैसले के पीछे क्या वजह थी इसके बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कल विस्तृत आदेश दिया|
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑल इंडिया कोटा के सीटों में आरक्षण देने से पहले केंद्रीय सरकार को इस अदालत की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं थी और इस तरह उनका फैसला सही था|