उत्तराखंड में संस्कृत विश्वविद्यालय के द्वारा भूमि-भवन आदि संबंधी कागज उपलब्ध न कराने के कारण संस्कृत विश्वविद्यालयों की मान्यता खत्म कर दी गई है लेकिन अभी भी शास्त्री व आचार्य प्रथम वर्ष को छोड़कर सभी कक्षाएं संचालित की जा रही है.
राज्य सरकार के आदेशानुसार संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति जीके अवस्थी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया , जिसके द्वारा सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों का निरीक्षण किया गया. इस निरीक्षण में 10 संस्कृत विश्वविद्यालय मान्यता अनुसार भूमि -भवन आदि से संबंधित अभिलेख उपलब्ध नहीं करा सके जिस कारण इन सभी की मान्यता कमेटी द्वारा रद्द कर दी गई.
कुलपति ने बताया कि आने वाले सत्र 2021- 22 में शास्त्री व आचार्य प्रथम वर्ष की कक्षाओं में प्रवेश लेने में रोक लगा दी गई. और सभी कक्षाओं का संचालन जारी रहेगा. इसके अतिरिक्त 5 संस्कृत विश्वविद्यालय को कमेटी द्वारा एक और मौका दिया गया है उन्हें सत्र 2021-22 में छात्रों के प्रवेश के लिए मान्यता दी है अगर इन विश्वविद्यालयों ने भी मान्यता अनुसार भूमि-भवन आदि से संबंधित अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए तो कमेटी को इनके लिए भी कोई ठोस कदम उठाना पड़ेगा. जिसकी जानकारी प्रशासन को दे दी गई है.
इन 10 संस्कृत विश्वविद्यालयों की मान्यता की गई खत्म –
(1) सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय, लंढौर( मसूरी) (2) सनातन सत्संग संस्कृत महाविद्यालय, काशीपुर (3)सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय,हल्द्वानी (4)सरस्वती संस्कृत महाविद्यालय बसुकेदार, रुद्रपुर(5) जयदयाल अग्रवाल संस्कृत महाविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल (6) मुनीश्वर वेदांत संस्कृत महाविद्यालय,ऋषिकेश (7) रघुनाथ कीर्ति आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, देवप्रयाग (8) सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय मयकोटी, रुद्रपुर (9)संस्कृत ज्योतिष महाविद्यालय सटियाना, चमोली (10) श्री ब्रह्मचारी रामकृष्ण संस्कृत महाविद्यालय पालीवाल धर्मशाला, हरिद्वार.