अल्मोड़ा जिले के ज्योली गांव निवासी जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की कविताएं अब स्कूलों की प्रार्थना सभा में शामिल, निर्देश

हल्द्वानी | अल्मोड़ा जिले के ज्योली गांव में 10 सितंबर 1945 को जीवंती देवी व हंसा दत्त तिवारी के घर जन्मे गिर्दा की जन गीतों के नायक के रूप में पहचान है| उन्होंने चिपको, नशा नहीं रोजगार दो, उत्तराखंड आंदोलन, व नदी बचाओ आंदोलन को अपने गीतों से तेवर दिया| जन संघर्षों से जुड़े रहने के साथ गीत और नाटक प्रभाग में नौकरी की| यही से लखनऊ आकाशवाणी जाना शुरू हुआ| कुमाऊनी वह हिंदी कविताएं रचने के अलावा अंधायुग, अंधेर नगरी चौपट राजा, नगाड़े खामोश हैं, धनुष यज्ञ आदि नाटकों का निर्देशन किया| 22 अगस्त 2010 को उनका निधन हो गया|
अलग उत्तराखंड राज्य पाने की चाहत| सड़कों पर जनता व जुबां पर ‘आज हिमाल तुमन के धत्यूंछौ’ जागो जागो हो मेरा लाल, जैसे जनसंगीत| मुड़के की थाप पर जब यह गीत बजते हैं तो बच्चों से लेकर बुजुर्ग नई ऊर्जा से भर जाते हैं| ऐसी कालजयी रचनाएं करने वाले जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की कविताएं अब स्कूलों की प्रार्थना सभा में सुनाई देगी|
अल्मोड़ा निवासी गिर्दा कवि लेखन होने के साथ निर्देशक भी रहे| उत्तराखंड आंदोलन ने उन्हें जनकवि के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया| वह जन सरोकार से गहराई से जुड़े रहे| जीवनदायिनी नदियों को बचाने के लिए आंदोलन शुरू हुआ तो गिर्दा के हुंकार भरे स्वर फूटे -” अजी वाह! क्या बात तुम्हारी, तुम तो पानी के व्योपारी, खेल तुम्हारा तुम्हीं खिलाड़ी आज भी उत्तराखंड की आवाज है| जो मुश्किल में हिम्मत के साथ आगे बढ़ने का हौसला, चुनौतियों से लड़ने का साहस देते हैं|
डीएम धीराज गब्र्याल की अध्यक्षता में जिला योजना समिति की बैठक में गिर्दा की कविताएं प्रार्थना सभा में लागू करने के निर्देश दिए गए| सीईओ केएस रावत ने सभी ब्लॉक शिक्षा व उप शिक्षा अधिकारियों को एक-एक रचनाएं चुनकर सभी स्कूलों की प्रार्थना सभा में लागू करने को कहा है|