पिथौरागढ़:- काली और गोरी नदियों का जलस्तर बढ़ने से खतरे में है जौलजीबी…. 300 परिवारों की नींद हुई गायब

पिथौरागढ़। बारिश के दिनों में सभी नदियां और नाले उफान पर रहते हैं ऐसे में नदियों और नालों के किनारे बसी हुई बस्तियों के लोगों को बार-बार जिंदगी और मौत से लड़ना पड़ता है। कुछ ऐसा ही हाल नेपाल सीमा पर काली और गोरी नदियों के संगम स्तर पर स्थित जौलजीबी वासियों का है जोकि बारिश के दिनों में सारी रात पहरा देते हैं क्योंकि काली और गोरी नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ता रहता है जिस कारण लोगों की जान का खतरा बना रहता है बीते मई के माह में अधिक गर्मी से ग्लेशियर पिघलने पर नदियां उफान पर आई थी और मानसूनी बारिश से पहले ही नदियों ने विकराल रूप ले लिया है। ग्रामीण इस चिंता में है कि यदि मानसून सक्रिय हुआ तो उनकी बस्तियों और घर परिवार दोनों को नुकसान होगा। बता दे की काली नदी बस्ती के कुछ मीटर दूरी पर बहती है मगर गोरी नदी बस्ती के मकानों के पास से ही गुजरती हैं और जब इस नदी का जलस्तर बढ़ता है तो पानी लोगों के मकानों से होकर जाता है इस नदी के किनारे लगभग 300 परिवार रहते हैं और यहां पर नदी के कटाव से बचाव के लिए कोई भी तटबंध नहीं बनाया गया है और ना ही रात्रि को जल स्तर बढ़ने पर उसे देखने के लिए लाइट की कोई व्यवस्था है।
क्षेत्र को बचाने हेतु क्षेत्र की प्रमुख समाजसेवी शकुंतला दलाल बीते लंबे समय से इस बात की मांग कर रही है कि धारचूला निर्माणाधीन तटबंध निर्माण की तर्ज पर ही वहां पर भी एक तटबंध बनाया जाए जिसके लिए वह कई बार देहरादून भी जा चुकी है और यही नहीं बल्कि वह सिंचाई विभाग के अधिकारियों और जिलाधिकारी से भी कई समय से इस मामले में मांग करती आ रही है मगर अभी भी जौलजीबी का हाल वहीं है वहां के निवासियों का कहना है कि जौलजीबी खतरे में है और मानसून लोग राम का नाम लेकर व्यतीत करते हैं तथा अभी तक वहां पर गोरी नदी के किनारे कोई भी सुरक्षात्मक कार्य नहीं किए गए हैं।