
पिथौरागढ़। जिले में 24 अप्रैल साल 2018 को हंस फाउंडेशन द्वारा ढाई करोड़ की लागत के साथ आईसीयू बनवाया गया था मगर सरकार अभी तक उस आईसीयू को चलाने में सफल नहीं रही है। बता दे कि जनपद के सबसे बड़े जिला अस्पताल को आईसीयू हंस फाउंडेशन की तरफ से दान में मिला था जिसे 3 साल से भी अधिक का समय हो गया है मगर वहां पर स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है। अत्याधुनिक मशीनें भी है मगर रोगियों को फिर भी मैदानी क्षेत्रों में भेज दिया जाता है अभी तक सरकार वहां पर स्टाफ की नियुक्ति नहीं कर पाई हैं। हंस फाउंडेशन की तरफ से जब साल 2018 में सबसे बड़े जिला अस्पताल में आईसीयू बनवाया गया था तो तब जनता को लगा था कि उन्हें अब पहाड़ों में ही इलाज मिल जाएगा लेकिन जनता की उम्मीदें धरी की धरी रह गई और स्टाफ के अभाव में आईसीयू जैसा का तैसा पड़ा है। बता दे कि आईसीयू को संचालित करने के लिए चिकित्सक सहित 24 पदों पर नियुक्ति की जानी है इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई बार निदेशालय से स्टाफ नियुक्ति की गुहार भी लगाई जा चुकी है मगर उन फाइलों में धूल जम गई है और अभी तक वहां पर स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पाई है जिसका खामियाजा सीमांत की जनता को भुगतना पड़ रहा है। चिकित्सालय में आईसीयू का इस्तेमाल केवल वेंटिलेटर पर रखने के लिए ही होता है और उसके बाद आईसीयू बंद पड़ा रहता है यदि वहां पर किसी मरीज की तबीयत काफी नाजुक है तो उसे हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया जाता है। 3 साल के बाद भी स्टाफ की तैनाती न होने के कारण आईसीयू बंद पड़ा है यह लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ है जिले में बेहद ही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता है क्योंकि वहां पर प्राकृतिक घटनाएं होती रहती हैं जिसमें जनहानि भी होती है इसलिए आईसीयू की बेहद जरूरत है।


