बीते गुरुवार को न्यायमूर्ति एमआर शाह और बीवी नागरत्ना की पीठ ने यह आदेश दिए हैं कि कोरोना से मौत के संबंध में यदि कोई फर्जी दवा पाया जाता है तो उसे आपदा प्रबंधन की धारा 52 के तहत दंडनीय माना जाएगा। तथा अपराधी को 2 वर्ष की सजा और जुर्माना भरना पड़ेगा। बता दें कि बीते गुरुवार को केंद्र सरकार की अर्जी में सुनवाई करते हुए सुप्रीकोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश दिए हैं कि वे चार राज्यों आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल और महाराष्ट्र में कोरोना से मौत के बाद कुल दावों के 5 फ़ीसदी मामलों की जांच करें। क्योंकि कोर्ट ने समीक्षा करने पर यह पाया कि कोरोना से मौत के संबंध में फर्जी दावे भी किए जा रहे हैं। दरअसल सरकार द्वारा कोरोना से मौत होने पर मृतक के परिजनों को ₹50000 की राहत राशि प्रदान की जा रही है जिसका कई लोग दुरुपयोग कर रहे हैं इसलिए कोर्ट ने केंद्र सरकार के द्वारा दी गई अर्जी पर सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय को इस मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं।साथ में कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय को यह भी निर्देश दिए हैं कि वे 3 माह के अंदर ही अपनी जांच पूरी कर ले। क्योंकि मुआवजा पाने के लिए कोरोना से मौत के मामले में कई फर्जी दावे किए जा रहे हैं
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