अब प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए बीएड नहीं डीएलएड जरूरी, निजी B.Ed कॉलेजों में भी डीएलएड की पढ़ाई शुरू करने की मांग

उत्तराखंड के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए अब बीएड नहीं केवल डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (D.El.Ed) वाले ही मान्य होंगे| सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की याचिका पर यह फैसला सुनाया है|


अब एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट ने यह मांग की कि राज्य सरकार निजी बीएड कॉलेजों में भी डीएलएड की पढ़ाई शुरू करने को हरी झंडी दे, ताकि डीएलएड की मांग बढ़ने के मद्देनजर युवा दूसरे राज्यों का पलायन न करें| इंस्टिट्यूट के अध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने 11 अगस्त 2023 को अहम निर्णय दिया, जिससे उत्तराखंड भी प्रभावित होगा| इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए D.El.Ed उपाधि प्राप्त उम्मीदवार ही मान्य होंगे B.Ed धारक नहीं|


बता दे राजस्थान हाईकोर्ट के एक निर्णय के खिलाफ एनसीटीई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी| जिस पर यह आदेश आया है|
बता दे उत्तराखंड के 13 जिलों में कुल 13 डायट में डीएलएड कोर्स चल रहा है| जिसमें हर साल केवल 650 छात्रों को में दाखिला मिलता है|
एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अगर एनसीटीई में D.El.Ed कोर्स निजी कॉलेजों में संचालन के विशेष प्रयास किए जाएं तो राहत संभव है, नहीं तो नई शिक्षा नीति के तहत एनसीटीई अब 2 वर्षीय डिप्लोमा कोर्स के लिए नए आवेदन नहीं मांग रहा है|