
नैनीताल| विधानसभा सचिवालय में राज्य गठन से अब तक हुई अवैध नियुक्तियों तथा सचिव विधानसभा की नियुक्तियों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल से हाईकोर्ट ने जवाब तलब किया है|
इस याचिका में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सचिव कार्मिक, केंद्रीय चुनाव आयोग, राज्य चुनाव आयोग, गृह सचिव, वित्त सचिव, सीबीआई, मुख्यमंत्री, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य, गोविंद सिंह कुंजवाल व प्रेमचंद्र अग्रवाल को भी पक्षकार बनाया गया है| इन्हें कोर्ट ने याचिका से हटाने के लिए कहा है|
सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष हुई| राज्य गठन के बाद से अब तक सचिवालय में कुल 396 नियुक्तियां ऐसी है जिनके लिए कोई विज्ञप्ति जारी नहीं की गई| याचिका में कहां की अभ्यर्थियों को मात्र प्रार्थना पत्र के आधार पर नियुक्ति दे दी गई| सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल की नियुक्ति भी नियम विरुद्ध की गई है| इसकी जांच विधानसभा अध्यक्ष की ओर से गठित 3 सदस्य कमेटी ने की तो सभी नियुक्तियों के साथ सचिव की नियुक्ति को भी नियम विरुद्ध बताया गया| 2016 के बाद संयुक्त कार्मिक को हटा दिया गया| याचिका में वर्ष 2000 से अब तक सभी नियुक्तियों तथा सचिव की नियुक्ति को रद्द करने की प्रार्थना की गई|
बता दें कि देहरादून निवासी डॉ. बैजनाथ ने जनहित याचिका दायर करके कहा था कि विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2000 से अब तक सैकड़ों अवैध नियुक्तियां की गई है| कहा कि 2001 में 53, 2002 में 28, 2003 में पांच, 2003 में 17, 2005 में आठ, 2006 में 21, 2007 में 27, 2008 और 2013 में एक-एक, 2014 में 7, 2016 16 में 149, 2020 में 6 तथा वर्ष 2021 में 72 लोगों की नियुक्ति की गई|


